गुवा । नक्सल प्रभावित सारंडा जंगल स्थित मारंगपोंगा गांव के समीप अर्थवागड़ा नाला पर 15 दिन पूर्व बने पुल के दोनों तरफ का एप्रोच रोड पूरी तरह से टूट गया। इस पुल का निर्माण गुमला के ठेकेदार जितेन्द्र गुप्ता द्वारा किया गया था। ग्रामीणों का आरोप है कि पुल की नींव भी मजबूत नहीं है। पुल वर्षा का पानी में बह न जाए, इसके लिए पुल पर दबाव बनाए रखने को लेकर रोड रोलर मशीन रखा गया है।
विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार इस पुल का निर्माण लगभग 1.40 करोड़ रुपये से हुआ था। जिसे ठेकेदार ने निविदा प्रक्रिया में कम रेट डालकर लगभग 1.22 करोड़ रुपये में निविदा प्राप्त किया। इसके निर्माण के प्रारम्भ काल से ही भारी भ्रष्टाचार की नींव रखी जाने लगी थी। आज सच्चाई सामने दिखायी दे रही है। सारंडा के सुदूरवर्ती गांवों में सड़क व पुल-पुलिया का निर्माण का ठेका लेने के लिये बाहरी ठेकेदारों की होड़ मची रहती है।
कारण यह की यहां काम की गुणवत्ता को देखने कोई अधिकारी या अन्य आते नहीं है। मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी तक नहीं मिलती। ऐसे में नक्सल प्रभावित सारंडा के गांवों का विकास कैसे हो। यह कहना गलत नहीं होगा की तेज वर्षा हुई तो यह पुल भी राजाबेड़ा गांव के पुल की तरह बह न जाए। सारंडा के पोंगा-उसरुईया नदी पर इसी ठेकेदार जितेन्द्र गुप्ता द्वारा बनाए जा रहा पुल में भी भारी अनियमितता बरते जाने का मामला सामने आया था। इसकी शिकायत मिलने के बाद एक सप्ताह पूर्व ही सांसद गीता कोड़ा निर्माण स्थल पर पहुंची थी और निर्माण कार्य बंद कराया था।
इसके बाद सांसद ने पास स्थित अर्थवागड़ा नाला पर बने पुल का भी निरीक्षण किया था। निरीक्षण में उन्होंने पाया था कि इस पुल की गुणवता सही नहीं है। पुल के किनारे कंक्रीट का गार्डवाल नहीं बनाया गया है। जिससे एप्रोच बहने की संभावना है। सांसद के आदेश के बाद भी दोनों पुल की जांच नहीं हुई। ठेकेदार जितेन्द्र गुप्ता से सम्पर्क करने पर उन्होंने कहा कि उन्हें जानकारी मिली है कि पुल का एप्रोच टूट गया है।
इसे जल्द बनाया जायेगा। टूटे एप्रोच सड़क को बनाने के लिए ही पुल पर रोड रोलर मशीन रखा हुआ है। उन्होंने कहा कि वर्क आर्डर में पुल के दोनों तरफ गार्डवाल बनाने का आदेश नहीं था। इसके बावजूद उन्होंने मिट्टी कटाव को रोकने के लिए पत्थर डाला था।
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