रायपुर। छत्तीसगढ़ में शराब तथा कोयला घोटाला मामले में ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने दो पूर्व मंत्रियों, पूर्व मुख्य सचिव, दो निलंबित आईएएस, एक रिटायर्ड आईएएस और प्रभावशाली कांग्रेस नेताओं समेत 100 से अधिक लोगों के खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो में एफआईआर दर्ज कराई है। ईडी की ओर से दर्ज केस में शराब घोटाले में 35 नामजद और कोयला घोटाले में 71 नामजद आरोपितों के नाम शामिल हैं। ईडी का दावा है कि छत्तीसगढ़ में करीब 540 करोड़ रुपये का कोयला तथा शराब घोटाले में 2,161 करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार हुआ है, जो 2019 में सूबे के वरिष्ठ नौकरशाहों, राजनेताओं, उनके सहयोगियों की मिलीभगत का परिणाम है।
रायपुर के एंटी करप्शन ब्यूरो में जिन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है उनमें पूर्व मंत्री कवासी लखमा, अमरजीत भगत, पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड, जेल में बंद निलंबित आईएएस रानू साहू, समीर बिश्नोई, अनिल टुटेजा, उनके बेटे यश टुटेजा, कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल, पूर्व कांग्रेसी विधायक शिशुपाल सोरी, चंद्रदेव राय, बृहस्पत सिंह, यूडी मिंज, गुलाब कमरो के नाम शामिल हैं। इसके अलावा एफआईआर में पूर्व मुख्यमंत्री के करीबी मित्र विजय भाटिया का नाम भी शामिल हैं।
यह एफआईआर ईडी के संदीप कुमार की तरफ से 17 जनवरी को दर्ज कराई गई है। एसीबी के डीएसपी फरहान ने केस दर्ज किया है। कोयला घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री की उप सचिव रही सौम्या चौरसिया, निलंबित आईएएस समीर बिश्नोई, रानू साहू, सूर्यकांत तिवारी, लक्ष्मीकांत तिवारी, सुनील अग्रवाल, निखिल चंद्राकर जेल में बंद हैं।
शराब घोटाले में ईडी ने अपनी चार्जशीट में बताया कि किस तरह एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर के आपराधिक सिंडिकेट के जरिये आबकारी विभाग में बड़े पैमाने पर घोटाला हुआ।
ईडी ने चार्जशीट में कहा है कि साल 2017 में अच्छी मंशा से आबकारी नीति में संशोधन कर छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्प एलटीडी के जरिये शराब बेचने का प्रावधान किया गया, लेकिन 2019 के बाद शराब घोटाले के सरगना अनवर ढेबर ने अरुणपति त्रिपाठी को एमडी नियुक्त कराया। उसके बाद अधिकारी, कारोबारी, राजनैतिक रसूख वाले लोगों के सिंडिकेट के जरिये भ्रष्टाचार किया गया।
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