जमशेदपुर। झारखंड सांस्कृतिक कला रंग मंच द्वारा भुइंयाडीह स्वर्णरेखा नदी घाट में आयोजित विराट टुसू मेला में पूर्व मंत्री दुलाल भुइंया ने कहा कि टुसू पर्व में झारखंड संस्कृति की झलक देखने को मिलती है। टुसू पर्व से ही नए साल की शुरूआत भी होती है। इसलिए टुसू के स्वागत में तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं और एक दूसरे को बधाई एवम शुभकामनाएं देते हैं। उन्होंने कहा कि भुइंयाडीह में 1980 से ही टुसू मेला लगाया जा रहा है। टुसू पर्व झारखंड के सबसे बड़े त्योहार के रूप में मनाया जाता है। भुइंयाडीह में तीन दिनों तक धूमधाम से टुसू मेला लगाया जाता है और अंतिम दिन भुइंयाडीह दुर्गा पूजा मैदान में विशाल टुसू मेला लगाया जाता है।
जिसमें जमशेदपुर सहित बंगाल, उड़ीसा एवम झारखंड के विभिन्न जिलों से टुसू प्रतिमा और चौड़ाल लेकर यहां पहुंचते हैं। अंतिम दिन मेला में लोगों का हुजूम उमड़ता है और उत्साह देखते ही बनता है। इस टुसु मेले में झारखंड के संस्कृति की झलक व आदिवासी कलाकारों की कौशल बानगी देखने को मिलती है। जहां कलाकारों ने जमकर टुसू गीत पर झूमते और नृत्य करते हैं। वहीं टुसू मेला के उद्घाटनकर्ता सह अखिल भारतीय भुइंया समाज के अध्यक्ष राम प्रसाद भुइंया ने कहा कि टुसु मेला के आयोजन का मुख्य उद्देश्य है आने वाले पीढ़ी को हम अपने कला और संस्कृति और रीति रिवाज के बारे में बता सकें ताकि वह भी आगे चलकर इस संस्कृति को बनाए रखें।
उन्होंने कहा कि झारखंड सांस्कृतिक कला रंग मंच द्वारा विभिन्न तरह के प्रतियोगिता आयोजित कर जितने वाले प्रतिभागी को मेला आयोजक की ओर से पुरस्कार देकर उन्हें सम्मानित भी किया जाता है। उन सभी प्रतियोगिताओं में मुर्गा प्रतियोगिता मुख्य आकर्षण का केन्द्र रहता है। इसमें काफी दूर दूर से लोग मुर्गा लेकर आते हैं और इस प्रतियोगिता में भाग लेते हैं । 17 जनवरी समापन के दिन अतिथि के रूप में पूर्वी क्षेत्र के विधायक सरयू राय, समाजसेवी आस्तिक महतो, फनी महतो सहित अन्य कई गणमान्य लोग टुसू मेला की शोभा बढ़ाने का काम करेंगे।
No comments:
Post a Comment