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अपने वेतन से ही गरीब बच्चों के अध्ययन हेतु पुस्तक उपलब्ध करा रहे हैं संजय कच्छप: डॉ. धूनी सोरेन, Sanjay Kachhap is providing books for the study of poor children from his salary: Dr. Dhuni Soren


लाइब्रेरी के बढ़ते कड़ी में एक और लाइब्रेरी का हुआ उद्घाटन,

चक्रधरपुर। कहते हैं कि शिक्षा ऐसी धारा है, जो हर जुर्म को मारा है, शिक्षा देती रोजी-रोटी, शिक्षा ही किनारा है। कुछ इन्हीं बातों को लेकर लाइब्रेरी की क्रांति को आगे बढ़ाते हुए चाईबासा के पुलहातु निवासी वर्तमान दुमका के कृषि उत्पाद बाजार समिति के पणन सचिव और "लाइब्रेरीमेन" के नाम से विख्यात संजय कच्छप की अहम भूमिका से सावित्रीबाई फुले की पुण्यतिथि के अवसर पर एसपी कॉलेज आदिवासी कल्याण छात्रावास संख्या 5  गरीब जरूरतमंद असहाय छात्रों के लिए पुस्तकालय की स्थापना की गई। 





गौरतलब है कि इस स्थापना के उद्घाटन करता लीवरपुल इंग्लैंड में रहने वाले अप्रवासी भारतीय डॉक्टर धूनी सोरेन ने किया। मौके पर उपस्थित छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए डॉक्टर सोरेन ने कहा कि बहुत ही खुशी की बात है कि आज संजय कच्छप जिन्हें पूरा देश आज "लाइब्रेरीमेन" के नाम से जानते हैं, भारत के प्रधानमंत्री ने भी उनके क्रियाकलापों का जिक्र अपने कार्यक्रम "मन की बात" में किए थे, और मुझे जानकारी मिली कि भारत के गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिल्ली में आयोजित होने वाले मुख्य कार्यक्रम में भी इन्हें बतौर विशिष्ट अतिथि के रूप में निमंत्रण मिला था। 


सचमुच मैं इनके द्वारा किए गए कार्यों को सलाम करता हूं कि आज झारखंड प्रदेश में इनके द्वारा 50 से अधिक लाइब्रेरी का निर्माण किया गया है। जहां पर बच्चे पढ़ लिखकर आगे बढ़ रहे हैं। मुझे बताते हुए बहुत खुशी होती है कि आज के इस भाग दौड़ की जिंदगी में लोग सुबह का नाश्ता शाम को भूल जाते हैं, ऐसे में ये अपने रोजमर्रा जीवन से समय निकालते हुए अपने वेतन से ही गरीब बच्चों के अध्ययन हेतु पुस्तक के उपलब्ध करा रहे हैं। मैं इनके इन द्वारा किए गए कार्यों को दिल से धन्यवाद देता हूं, और आप सभी छात्र-छात्राओं से भी निवेदन करता हूं कि इनसे प्रेरणा लेते हुए शिक्षा का महत्व को समझें, और आने वाली पीढियां को शिक्षा का महत्व को समझाएं, ताकि हमारा देश, समाज प्रगति के पथ पर अग्रसर रहेगा। 


उद्घाटन समारोह में संबोधित करते हुए "लाइब्रेरीमेन" संजय कच्छप ने कहा कि मैं ऐसा कोई कार्य नहीं कर रहा हूं जिसके लिए मुझे ऐसा सम्मान मिले। इस देश जन्म लेने वाला हर एक नागरिक का फर्ज बनता है कि वे अपने परिवार, समाज, देश के लिए कर्तव्य को निभाएं। मैं भी कुछ ऐसा ही प्रयास आप महागुरु के सानिध्य में कर रहा हूं। बस मेरी भी मंशा है कि हमारे क्षेत्र के बच्चे शिक्षा से वंचित न हो। 


आज देश में जो भी अप्रिय घटना घटती है, चाहे वो अंधविश्वास का हो या फिर उग्रवाद, आतंकवाद की बात करें, इसका एकमात्र कारण है कि हम सभी उच्च स्तरीय शिक्षा से वंचित है। उन्होंने उपस्थित छात्र-छात्राओं से अपील करते हुए कहा कि आज के इस पावन मौके पर आप सभी यह प्रण लें कि आप भी कम से कम एक-एक छात्राओं को शिक्षा का महत्व को समझाते हुए अपना मार्गदर्शन जरूर देंगे। आज के इस उद्घाटन समारोह में सैकड़ो के संख्या में छात्र-छात्राओं के अलावे अभिभावकगण उपस्थित थे।



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