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जैप छह जमशेदपुर परिसर में सागवान का पेड़ काटने के मामले की जांच होगी, The case of cutting of teak tree in Zap 6 Jamshedpur campus will be investigated.


रांची। जैप छह जमशेदपुर परिसर में सागवान का पेड़ काटने के मामले की जांच होगी। इस मामले को जैप छह के तत्कालीन कमांडेंट आईपीएस अंशुमन कुमार के भूमिका की जांच होगी। अंशुमन कुमार वर्तमान में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं। इस मामले को लेकर डीजीपी अजय कुमार सिंह के आदेश पर आईजी मानवाधिकार ने जैप एडीजी प्रिया दुबे को 15 दिनों के अंदर जांच कर रिपोर्ट देने को कहा है। 



काटे गए पेड़ की लकड़ी से कमांडेंट साहब का सामान बनेगा : जैप-6 में अंशुमन कुमार की पोस्टिंग के दौरान आरक्षी नरोत्तम कुमार, हवलदार विनय कुमार, बैकुंठ शर्मा के खिलाफ शिकायत मिली थी। इस मामले की जांच के दौरान तीनों के बारे में डीआईजी ने पाया कि तीनों पुलिसकर्मी जातीय टिप्पणी करते हैं। इसके बाद तीनों पुलिसकर्मियों को वहां से हटाने की अनुशंसा की गई थी। रिपोर्ट में इन तीनों को अंशुमन कुमार का करीबी बताया गया था।


इसी मामले की जांच के क्रम जैप छह परिसर में वज्रपात से सूखे सागवान के पेड़ के काटने के संबंध में जानकारी मिली। पेड़ काटने के मामले में जैप छह परिसर में कार्यरत पुलिसकर्मी बुद्धेश्वर राम, डीएसपी विश्वजीत राय, तत्कालीन जीपी प्रभारी अंजनी कुमार समेत कई अन्य पुलिस कर्मियों का बयान दिया गया। जिसमें पाया गया कि काटे गए पेड़ की लकड़ी से कमांडेंट साहब का सामान बनेगा। हालांकि कई पुलिसकर्मियों ने अपने बयान में कहा है, कि मुझे बताया गया था, कि वन विभाग की अनुमति से लेकर पेड़ कटवाया गया। उस लकड़ी का उपयोग कहां किया गया यह जानकारी मुझे नहीं है।


आईएएस छवि रंजन पर डाकबंगला परिसर में लगे पेड़ों को काटने का आदेश देने का भी लगा था आरोप : 2015 में कोडरमा डीसी रहते छवि रंजन ने पेड़ कटवाई थी। उस वक्त उन पर आरोप लगा था कि उन्होंने बिना सरकार की अनुमति के कोडरमा जिला परिषद परिसर से पांच सागवान व एक शीशम का पेड़ कटवा लिया था। इसको लेकर कोडरमा के मरकच्चो थाना में मामला भी दर्ज हुआ था। हालांकि छवि रंजन को केस में नामजद नहीं किया गया था। बाद में एसीबी को केस ट्रांसफर किया गया। 




एसीबी ने जांच के दौरान छवि रंजन से पूछताछ भी की थी। बयान और अन्य साक्ष्य के आधार पर एसीबी के अधिकारी इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि छवि रंजन के निर्देश पर ही पेड़ की कटाई हुई थी। पेड़ कटवाने के बाद उसे जिस आरा मिल में चीरा गया था, वहां के लोगों से एसीबी के अधिकारियों ने बयान लिया था। इसके आधार पर एसीबी ने केस के अनुसंधान में आइएएस छवि रंजन को दोषी पाया था। इसके बाद मामले में उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गयी थी, लेकिन चार्जशीट से पहले एसीबी द्वारा मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं ली गयी थी। इसके बिना ही आरोप पत्र समर्पित कर दिया गया था। 



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