जमशेदपुर। एक्सएलआरआइ दलमा के इको सेंसेटिव जोन का जोनल मास्टर प्लान तैयार करेगा। इसे लेकर शुक्रवार को एक्सएलआरआइ और झारखंड सरकार के वन एवं पर्यावरण विभाग के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर हुआ। इस मौके पर मुख्य वन संरक्षक एसआर नटेश, आरसीसीएफ स्मिता पंकज, डीएफओ दलमा सह जमशेदपुर सबा आलम अंसारी सहित अन्य पदाधिकारी मौजूद थे। सोनारी साईं मंदिर के पास स्थित वन भवन में एमओयू पर हस्ताक्षर हुआ।
इस समझौते पर डीएफओ सबा आलम अंसारी और एक्सएलआरआइ के डायरेक्टर फादर एस जॉर्ज के बीच हुआ। इन लोगों ने एक दूसरे के समझौते पर हस्ताक्षर किया और समझौता की प्रति आदान प्रदान किया। इस मौके पर यह कहा गया कि करीब दो साल में इसकी रिपोर्ट एक्सएलआरआइ सौंपेगी। इसके आधार पर कार्रवाई होगी। हाथियों के लिए विश्व प्रसिद्ध दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी को केंद्र सरकार ने इको सेंसेटिव जोन में तब्दील कर दिया था। इसके बाद इस क्षेत्र में रहने वाले लगभग 85 गांवों व वहां रहने वाले लोगों का कैसे विकास किया जाए।
इस पर वर्षों से प्लानिंग चल रही थी। अब अमली जामा पहनाने का समय आ गया है। इसके तहत दलमा इको सेंसेटिव जोन का विकास के लिए जोनल मास्टर प्लान बनाए जाएंगे। इसके तहत जंगली जानवरों, पशु पक्षियों से लेकर इस तरह का विकास का मसौदा तैयार होगा कि क्षेत्र का विकास भी हो और पर्यावरण से लेकर जीव जंतुओं को किसी प्रकार का कोई नुकसान न हो। इको सेंसेटिव जोन के विकास के लिए बनाए जा रहे जोनल मास्टर प्लान में वनों को संरक्षित रखना और मानव-पशु संघर्ष को कम करना भी है।
इसके तहत सभी विभाग मिलकर विकास का काम करेंगे। इको सेंसेटिव क्षेत्र शहर के आसपास के ऐसा क्षेत्र होता है, जहां राष्ट्रीय उद्यान या वन्यजीव अभ्यारण्य होता है। चिह्नित स्थल के 10 किमी के दायरे में होता है। भारत सरकार द्वारा दलमा वन्य प्राणी को इको सेंसेटिव जोन घोषित किया गया है। इको सेंसेटिव जोन में शामिल करने का मुख्य उद्देश्य है। उद्यान व वन्यजीव अभ्यारण्य को किसी प्रकार का नुकसान न हो। इको सेंसेटिव जोन के अंदर वाणिज्यिक खनन नहीं होगा, मिल, उद्योग स्थापित नहीं किया जाएगा।
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