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कोल्हान वन क्षेत्र के जमीन पर खनिज संपदा होने के बवजूद यहां के आदिवासी भूखे मर रहे हैं एवं पलायन पर मजबूर है : मधु कोड़ा, Despite having mineral wealth on the land of Kolhan forest area, the tribals here are dying of hunger and are forced to migrate: Madhu Koda,


गुवा। पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोडा़ ने सारंडा व कोल्हान वन प्रमंडल की तमाम बंद पडी़ खदानों को खोलने, वनाधिकार पट्टा से वंचित लोगों को वनाधिकार पट्टा सरकार से दिलाने की मांग को लेकर आंदोलन सह पदयात्रा का शुभारम्भ सारंडा के छोटानागरा गांव से 22 अगस्त को प्रारम्भ किया। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन भाजपा के बैनर तले तथा पूर्व सांसद गीता कोडा़ के नेतृत्व में प्रारम्भ किया गया है। उन्होंने कहा कि सारंडा व कोल्हान वन क्षेत्र के जमीन के अंदर लौह अयस्क रूपी खनिज सम्पदा एवं उपर वन सम्पदा होने के बावजूद यहाँ के आदिवासी व स्थानीय विभिन्न वर्गों के लाखों बेरोजगार भूखे मरने अथवा बेरोजगारी का दंश झेलते हुये पलायन को मजदूर हैं। 



इस इलाके की रुगंटा, ओएमएम, मिश्री लाल जैन, आर मेकडिल, एनके-पीके, आरजेएम, झंडीबुरु, राजाबेड़ा, देवका बाई लाल, के एस अहलुवालिया, जीलिंगबुरु, सुकरी, मेरेलगाड़ा, बिहार माइंस, बोकना माइंस, एसएमको, समीर सेन - सलील सेन, ओझा माईस आदि खदानें वर्षों से बंद है और खदान में काम करने वाले लाखों बेरोजगार हैं। ग्रामीणों को अपने परिवार का पालन-पोषण करना काफी मुश्किल हो गया है। ग्रामीणों की हालात निरंतर खराब होते जा रही है। आए दिन मनोहरपुर, गोइलकेरा, चक्रधरपुर, चाईबासा आदि रेलवे स्टेशनों में क्षेत्र से पलायन करने वाले बेरोजगारों की भीड़ दिखाई देती है। लगभग पांच साल से झामुमो-कांग्रेस गठबंधन की हेमन्त सरकार राज्य में बनी है तब से हेमन्त सरकार लाखो पदो पर नियुक्ति निकाल कर नौकरी देने की बात कही है पर 1 प्रतिशत भी लोगो को नौकरी नहीं दिया है और न हीं बेरोजगारी भत्ता दिया है। 


झामुमो ने 2019 के विधान सभा चुनावी घोषणा पत्र में कहा था अगर हम नौकरी नहीं देंगे तो बेरोजगारों को 5000 एवं 7000 हजार बेरोजगारी भत्ता देंगे जो दोनों नहीं दिया। आज 22 अगस्त से 27 अगस्त तक खदान खोलो अभियान यात्रा कर 28 अगस्त को बड़ाजामदा में रैली एवं विशाल आम सभा का आयोजन किया जायेगा। मधु कोडा़ ने कहा कि सिंहभूम लोकसभा क्षेत्र अंतर्गत सारंडा, कोल्हान एवं पोड़ाहाट वन क्षेत्र में आदिवासी एवं अन्य भाई-बहने सदियों से निवास करते आ रहे है। इनकी संख्या तकरीबन लाखों में है। इन वन क्षेत्रों में निवास कर रहे लोगों का जीवन-यापन बहुत ही संघर्ष मय है। इन क्षेत्रों के निवासी वनोत्पाद खाकर या बेचकर अपना जीवन यापन करते है। 


इन पैसों से यहां के गरीब आदिवासी रोजमर्रा की जरूरत की चीजों जैसें कि अनाज, कपड़ा, दवाई, बच्चों की पढ़ाई लिखाई आदि काम में खर्च करते है। मुलरूप से इनलोगों का जीविकोपार्जन का मुख्य आधार वन है। इनकी वन भूमि ही इनका पहचान का मूल आधार है। गरीब आदिवासी जंगल और जमीन पर अपने अधिकार के लिए सदियों से लडा़ई लड़ते आ रहे है। केन्द्र सरकार द्वारा वनक्षेत्रों में रह रहे आदिवासी एवं अन्य गरीब लोगों को वन अधिकार अधिनियम के तहत वनपट्टा देने के लिए कानून बनाया। वर्ष 2023 में हेमन्त की सरकार द्वारा वनक्षेत्रों के निवासियों को ग्रामसभा कर वनपट्टा दावे का आवेदन जिला के प्रखंड, अंचल कार्यालय में मांगा गया था। और वनक्षेत्रों में रह रहे गरीब लोग बहुत उम्मीद के साथ व्यक्तिगत एवं सामुदायिक वनपट्टा लेने के लिए हजारों की संख्या में आवेदन या दावा ग्रामसभा, ब्लॉक, अंचल, अनुमंडल के माध्यम से इंडिया गठबंधन की हेमन्त सरकार के पास किया है। परन्तु आजतक हेमन्त सरकार उनके आवेदन पर कोई विचार नहीं कर रही है। हेमन्त सरकार सोयी हुई है लोगो की पुकार सुन नहीं रहा है।सरकार का पाँच वर्ष बीतने वाला है। 


इतने दिन के बाद भी अबतक झारखण्ड की इंडिया गठबंधन की हेमन्त सरकार ने लोगों को वनपट्टा नहीं दिया जाना इन वनक्षेत्रों में निवास कर रहे गरीब भूमिहीन आदिवासी एवं अन्य लोग के साथ धोखा व गंदा मजाक है। भारतीय जनता पार्टी ने कोल्हान, सारंडा और पोड़ाहाट वनक्षेत्रों में सदीयो से निवास कर रहे आदिवासी भाई-बहनों को वनपट्टा दिलाने के लिए तथा सरकार को नींद से जगाने और झुठा वादा याद दिलाने के लिए उनके विरुद्ध घन्टा बजाओ सरकार जगाओ आंदोलन 22 अगस्त से वनपट्टा यात्रा के रुप में प्रारम्भ किया है। इसके तहत 3 सितम्बर को नोवामुण्डी, 4 सितम्बर को मनोहरपुर, 5 सितम्बर को जगन्नाथपुर, 6 सितम्बर को गोईलकेरा एवं 7 सितम्बर को टोन्टो प्रखंड कार्यालय में धरणा-प्रदर्शन किया जायेगा। 


इस दौरान सारंडा पीढ़ के मानकी लागुडा़ देवगम, समाजसेवी सुशेन गोप, छोटानागरा मुंडा बिनोद बारीक, जामकुंडिया मुंडा कुशु देवगम, जोजोगुटु मुंडा कानुराम देवगम, सोनापी मुंडा पिरती सोरेन, काशिया-पेचा मंगता सुरीन, पंसस रमेश हंसदा, मंगल कुम्हार, राजेश सांडिल, मानसिंह चाम्पिया, तितलीघाट के लेबेया सिधु, प्रकाश गोप, अविनाश खण्डाईत, मंगल करुवा, राजेश गोप, ओडे़या पुरती आदि ने भी संबोधित किया।



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