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महिला डॉक्टर की रेप के बाद हत्या के विरोध में गुवा एवं किरीबुरू सेल अस्पताल में डॉक्टर एवं कर्मियों ने लगाया काला बिल्ला, Doctors and staff in Guva and Kiriburu Cell Hospital wore black badges in protest against the rape and murder of a female doctor.

         


                                   

गुवा। कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज की महिला डॉक्टर की रेप के बाद हत्या के विरोध में 17 अगस्त को सेल की गुवा,किरीबुरु-मेघाहातुबुरु जनरल अस्पताल के तमाम चिकित्सकों व पारा मेडिकल स्टाफ ने काला बिल्ला लगाकर उक्त घटना की कडी़ निंदा व विरोध करते हुये मरीजों का इलाज कर रहे हैं। इस आंदोलन में अस्पताल की सीएमओ डॉ सीके मंडल, डॉ विप्लव दास, डॉ सरकार, डॉ अशोक कुमार अमन, डॉ भेंगरा, डॉ गजेन्द्र,डा. नंदी जेराई, डा. पीआर सिंह, डा. सोना झरिया कुल्लू, डा. मधुसुदन दास, डा. बीके सिंह, डा. अर्चना बेक, डा. सरस्वती खलको, डा. मनोज कुमार, डा. केभीबी बसंता रायडू, डा. सुमीधा कुमारी पूजा, डा. हरेन्द्र कुमार, डा. करण सौरभ आदि शामिल हैं। 



सभी चिकित्सकों ने दोषियों को फांसी की सजा देने तथा चिकित्सकों की अभेद सुरक्षा की मांग की। उल्लेखनीय है कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अह्वान पर उक्त घटना के विरोध में शनिवार सुबह 6 बजे से पूरे देश भर के चिकित्सक हड़ताल शुरू किये हैं, जो रविवार सुबह 6 बजे तक चलेगी। कोलकत्ता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में महिला डॉक्टर से कथित दुष्कर्म व हत्या के विरोध में 24 घंटे हड़ताल का आह्वान किया गया है। अब तक हुई जांच को भी एसोसिएशन ने संतोषजनक नहीं माना है। 


एसोसिएशन का कहना है कि साक्ष्य मिटाने का प्रयास भी हुआ है। गुरुवार को आंदोलन कर रहे जूनियर डॉक्टरों पर भी हमला किया गया। अस्पताल प्रबंधन को अस्पतालों में सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम करना होगा।आइएमए के प्रमुख डॉ आरवी अशोकन ने कहा है कि देश भर के सभी अस्पतालों को हवाई अड्डों की तरह सुरक्षित क्षेत्र घोषित किया जाना चाहिए, ताकि डॉक्टर बिना किसी डर के काम कर सकें। यह आइएमए की 5 मांगों में एक है। उन्होंने कहा है कि स्वास्थ्यकर्मियों पर हिंसा को रोकने के लिए एक केंद्रीय कानून भी होना चाहिए। 


25 राज्यों में डॉक्टरों और अस्पतालों पर हमलों के खिलाफ कानून हैं, लेकिन अब तक किसी को दोषी नहीं ठहराया गया है। आइएमए ने आरजी कर की पीड़िता के परिवार को उचित मुआवजा देने की भी मांग की है। आइएमए उचित जांच और समयबद्ध अभियोजन के साथ-साथ दोषियों के लिए उचित सजा की भी मांग करती है। यह रेजिडेंट डॉक्टर (कोलकाता की घटना में जान गंवाने वाली) लगातार 36 घंटे से ड्यूटी पर थी। क्या यह सही है ! आप कितने घंटे डॉक्टर को ड्यूटी पर रखना चाहते हैं ! दूसरी तरफ स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय, भारत सरकार के डीजीएचएस डॉ. अतुल गोयल ने व्याण जारी कर कहा है कि हाल ही में यह देखा गया है कि सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों के खिलाफ हिंसा आम हो गई है। 


कई स्वास्थ्य कर्मियों को अपनी ड्यूटी के दौरान शारीरिक हिंसा का सामना करना पड़ता है। कई लोगों को धमकाया जाता है या मौखिक आक्रामकता का सामना करना पड़ता है। यह हिंसा अधिकतर या तो मरीज़ या मरीज़ के परिचारकों द्वारा की जाती है। उपरोक्त के मद्देनजर, यह कहा गया है कि ड्यूटी के दौरान किसी भी स्वास्थ्य देखभाल कार्यकर्ता के खिलाफ किसी भी हिंसा की स्थिति में, संस्थान का प्रमुख घटना के अधिकतम 6 घंटे के भीतर एक संस्थागत एफआईआर दर्ज करने के लिए जिम्मेदार होगा।



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