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जुगसलाई और घाटिशला समेत 11 सीटों पर आजसू लड़ेगी चुनाव, कई राउंड की वार्ता के बाद हुआ फैसला, AJSU will contest elections on 11 seats including Jugsalai and Ghatishala, decision taken after several rounds of talks,


जमशेदपुर। इस बार भाजपा और आजसू गठबंधन मिल कर विधानसभा चुनाव लड़ेगा। इस फैसले पर मुहर लग गई है। यही नहीं, भाजपा और आजसू के बीच सीटों का फार्मूला भी तय हो गया है। आजसू ने भाजपा से झारखंड में 15 सीटें मांगी थी। परंतु आजसू को 11 सीटों पर उम्मीदवार लड़ाने की हरी झंडी मिल गई है। इन सीटों में वह तीन सीटें शामिल हैं जिन पर विधानसभा चुनाव 2019 में आजसू के उम्मीदवार जीते थे। कोल्हान में दो सीटें आजसू को मिली हैं। जिन सीटों पर निर्णय हो गया है, उन पर अब आजसू ने चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। इन सभी सीटों पर उम्मीदवार तलाशे जा रहे हैं। 



साथ ही वहां के पदाधिकारियों और टिकट के दावेदारों से कह दिया गया है कि वह बूथ स्तर तक कमेटी का गठन कर लें और संगठन मजबूत करने में जुट जाएं। कोल्हान में दो सीटें आजसू को मिली हैं। घाटशिला विधानसभा सीट भी आजसू की झोली में डाल दी गई है। इसके अलावा, जुगसलाई सीट भी आजसू को दे दी गई है। जुगसलाई से पूर्व मंत्री रामचंद्र सहिस चुनाव लड़ते रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में वह झामुमो के मंगल कालिंदी से हार गए थे। जुगसलाई विधान सभा क्षेत्र, पूर्व मंत्री आजसू नेता रामचंद्र सहिस का गढ़ है। वह यहां से 2009 और 2014 में विधायक रह चुके हैं और पिछले चुनाव में दूसरे नंबर पर थे। यहां भाजपा तीसरे नंबर पर थी। इसलिए इस सीट पर भाजपा का दावा कमजोर था। यहां से कोई भाजपा उम्मीदवार भी दावेदार नहीं था। इसलिए, भाजपा इस सीट पर कोई दावा नहीं कर रही थी। घाटशिला में पहली बार आजसू चुनाव लड़ेगी। घाटशिला में भी भाजपा के पास कोई दमदार उम्मीदवार नहीं है। इसलिए, यह सीट आजसू के खाते में डाल दी गई है।


तीन सीटों पर हैं आजसू के सिटिंग विधायक :  जो 11 सीटें आजसू को मिली हैं उनमें सिल्ली, गोमियो और रामगढ़ हैं। इन सीटों पर अभी आजसू के ही विधायक हैं। सिल्ली से आजसू के केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश महतो खुद विधायक हैं। रामगढ़ से सुनीता चौधरी और गोमियो से लंबोदर महतो विधायक हैं। ये तीन सीटें आजसू का गढ़ मानी जाती हैं। इसीलिए यह सीटें आसानी से आजसू के खाते में आ गई हैं। इन सीटों पर आजसू पहले से ही चुनाव की तैयारी में जुटा है। यहां आजसू का चूल्हा प्रमुख सम्मेलन संपन्न हो चुका है। इसके अलावा, सूत्र बताते हैं कि आजसू को डुमरी, तमाड़, बड़कांगांव, राजमहल, लोहरदगा और मांडू भी मिली हैं। डुमरी उप चुनाव में आजसू प्रत्याशी यशोदा देवी दूसरे नंबर पर रही थीं। 


वैसे, इस सीट पर भाजपा , आजसू से कमजोर नहीं है। साल 2019 के चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार प्रदीप कुमार साहू , आजसू प्रत्याशी यशोदा देवी के बाद भले ही तीसरे नंबर पर रहे हों, मगर भाजपा व आजसू में वोटों का अंतर कुछ सौ का ही रहा था। साल 2014 के चुनाव में यहां भाजपा दूसरे स्थान पर रही थी। मगर, कुड़मी बाहुल्य सीट होने के नाते इस पर आजसू का मजबूत दावा है। बड़कागांव सीट पर साल 2019 के चुनाव में आजसू उम्मीदवार रोशन लाल चौधरी कांग्रेस की विधायक अंबा प्रसाद के बाद दूसरे नंबर पर थे। भाजपा उम्मीदवार लोकनाथ महतो तीसरे नंबर पर थे बल्कि, अंतर काफी बड़ा था। पिछले विधानसभा चुनाव में तमाड़ से आजसू प्रत्याशी राम दुर्लाव सिंह मुंडा दूसरे नंबर पर थे। लोहरदगा सीट पर भी आजसू का दावा तगड़ा है। यहां से आजसू के कमल किशोर भगत 2009 और 2014 में चुनाव जीते थे। इस सीट पर भाजपा के पास अभी कोई तगड़ा उम्मीदवार नहीं है। इसलिए यह सीट भी आजसू की झोली में डाल दी गई है।


मांडू में भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतने वाले विधायक जयप्रकाश भाई पटेल कांग्रेस में चले गए हैं। भाजपा के पास अब यहां से कोई दमदार उम्मीदवार नहीं है। जबकि, मांडू में पिछले विधानसभा चुनाव में आजसू के निर्मल महतो दूसरे नंबर पर थे। वह जयप्रकाश भाई पटेल से महज 2 हजार 62 मतों से ही हारे थे। जबकि, ईचागढ़ सीट पर अब तक कोई फैसला नहीं हुआ है। आजसू अब भी ईचागढ़ की सीट मांग रही है। वह यहां से पूर्व विधायक मलखान सिंह भाजपा के टिकट के दावेदार हैं। वह एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए हैं कि यह सीट भाजपा के पास ही रहे। राजनीति के जानकारों का कहना है कि अब लग रहा है कि यह सीट भाजपा अपने पास रखेगी। इसी सीट के एवज में आजसू को घाटशिला की सीट दी गई है।


लोहरदगा सीट की वजह से पिछले चुनाव में टूट गया था गठबंधन : आजसू और भाजपा का झारखंड में चुनावी गठबंधन रहता था। दोनों राजनीतिक दल मिल कर चुनाव लड़ते थे। मगर, विधानसभा 2019 में लोहरदगा सीट को लेकर यह गठबंधन टूट गया था। आजसू इस सीट पर अपने पूर्व विधायक कमल किशोर भगत की पत्नी नीरू शांति भगत को चुनाव लड़ाना चाहती थी। मगर, कांग्रेस के सुखदेव भगत भाजपा में चले गए थे। भाजपा ने सुखदेव भगत को यहां से चुनाव लड़ाने के लिए आजसू से गठबंधन तोड़ लिया था। लेकिन, इस सीट से 2019 के चुनाव में 74 हजार 380 मत पाकर कांग्रेस के रामेश्वर उरांव जीत गए थे। 


भाजपा के सुखदेव भगत को 44 हजार 230 वोट और आजसू की नीरू शांति भगत को 39 हजार 916 मत मिले थे। आजसू के कमल किशोर भगत इस सीट से चुनाव जीतते थे। वह यहां से दो बार विधायक बने थे। मगर, 2015 में उन्हें एक केस में जेल की सजा हो गई थी। इस वजह से उनकी विधायकी चली गई थी। 2015 में उपचुनाव में उनकी पत्नी नीरू शांति भगत आजसू के टिकट पर चुनाव लड़ीं मगर कांग्रेस के सुखदेव भगत से हार गई थीं।



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