- देश की विविधताओं का सम्मान करने को संस्कार जरूरी
Upgrade Jharkhand News । राष्ट्रीय सनातन शिक्षा सभा के राष्ट्रीय संयोजक अधिवक्ता कुलविंदर सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को पत्र लिख अपने नेताओं, सांसद, विधायक और मंत्रियों को सार्वजनिक रूप से बयानबाजी करने का विशेष प्रशिक्षण देने की सलाह दी है। इन नेताओं को भारत की विविधताओं का आदर सम्मान करने का संस्कार जरूरी है।
कुलविंदर सिंह के अनुसार दुनिया के सबसे बड़े राजनीतिक संगठन होने का दावा करने वाले भारतीय जनता पार्टी के कुछ नेताओं का बयान चौक चौराहे वाले नेताओं जैसे होते हैं। कुलविंदर सिंह के अनुसार भारत जैसे महान देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सर्व धर्म समभाव के सम्यक विकास की नीति को उनके नेता ही पलीता लगा देते हैं। कुलविंदर सिंह के अनुसार भारत के रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने अति भावना में आकर गुरु गोविंद सिंह की तुलना प्रधानमंत्री से की है। गुरु गोविंद सिंह से तो क्या, किसी भी महान पुरुषों की तुलना किसी से नहीं की जा सकती है। अच्छी सोच का व्यक्ति कभी भी तुलना नहीं करेगा बल्कि उनके गुणों, आदर्शों, दर्शन और सिद्धान्त का बखान कर उनके पदचिन्हों का अनुसरण करने की अपील करेगा। गुरु गोविंद सिंह ने राष्ट्र धर्म की रक्षा के लिए माता-पिता और संतान का बलिदान दिया, पूरी दुनिया के इतिहास में इसका कोई उदाहरण नहीं मिलता है।
प्रधानमंत्री और अध्यक्ष को चाहिए कि वह रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ को सार्वजनिक रूप से माफी मांगने के लिए कहें और उनके वक्तव्य पर लगाम लगाएं। कुछ दिनों पहले सांसद कंगना राणावत ने बयान बाजी कर सिखों पर भावनात्मक चोट की और तो और भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता आरपी सिंह, जो सिख हैं, वह भी घटिया बयान बाजी से खुद को बचा नहीं सके। भाजपा के नेता सनातन और देश के वैदिक पीरियड का बखान करते हैं, सभी को अच्छा लगता हैं लेकिन इसकी आड़ में नेतृत्व को खुश करने के लिए अल्पसंख्यकों पर घटिया टिप्पणी करते हैं। भाजपा प्रवक्ता आरपी सिंह ने सिखों की महान संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को निशाने पर लेते हुए कहा कि यह ईसाई गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी बन जाएगी।
भाजपा नेतृत्व उनसे पूछे, विदेश से फंड नहीं आने की जिम्मेवारी किसकी है। धर्मांतरण रोकने के लिए केंद्र और राज्य सरकार क्या कर रही है। क्या आरपी सिंह नहीं जानते कि जहां सामाजिक विषमता होगी और भेदभाव होता है तो व्यक्ति सम्मान के लिए अपना विकल्प खुद तलाश कर लेता है। आरपी सिंह को अच्छी समझ होगी कि सिख पंथ क्यों अस्तित्व में आया है, उसका मूल और इतिहास क्या रहा है।
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