Guwa (Sandeep Gupta) । नक्सल प्रभावित सारंडा के गंगदा पंचायत अन्तर्गत अत्यंत दुर्गम एंव विकास से कोशों दूर रहा काशिया-पेचा गांव में जाने हेतु आज तक सड़क नहीं होने से ग्रामीण परेशान हैं। सड़क के अभाव में गांव में तमाम तरह की बुनियादी सुविधायें लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है। काशिया और पेचा अलग-अलग गांव है जो आसपास है। काशिया मे लगभग 45 परिवार तथा पेचा में 125 परिवार रहते हैं। काशिया-पेचा गांव के एक छोर से बडा़जामदा-छोटानागरा-मनोहरपुर प्रस्तावित राष्ट्रीय मार्ग रूपी मुख्य सड़क, जबकि दूसरी छोर से गुवा-रोवाम-मनोहरपुर रूपी राज्य मार्ग गुजरी है। काशिया-पेचा गांव होते राष्ट्रीय व राज्य मार्ग के बीच की दूरी लगभग 15 किलोमीटर है। काशिया-पेचा गांव दोनों सड़क मार्गों के बीच में बसा हुआ है।
गुवा-रोवाम मुख्य सड़क मार्ग पर घाटकुडी़ गांव से मात्र एक किलोमीटर दूर काशिया-पेचा गांव की तरफ पिछले दिनों पीसीसी सड़क तथा बडा़जामदा-छोटानागरा मुख्य सड़क मार्ग पर बाईहातु गांव से जोजोगुटु गांव तक मात्र एक किलोमीटर सड़क का निर्माण हुआ है। बीच में लगभग 13 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण आज तक नहीं हुआ है, जिसको लेकर ग्रामीण निरंतर परेशान रहते हैं। ग्रामीण हर वर्ष श्रमदान कर गांव की जर्जर सड़कों का मरम्मत करते हैं। ताकि ग्रामीणों को आवागमन में थोड़ी राहत मिले। कोरोना काल में गांव के 125 ग्रामीणों को वैक्सिन देने हेतु स्वास्थ्य विभाग की टीम एम्बुलेंस से गांव आ रही थी, लेकिन रास्ते में हीं एम्बुलेंस कीचड़ में फंस गया था। ग्रामीण घंटों मेहनत कर एम्बुलेंस को कीचड़ से बाहर निकाला। इलाज के अभाव में ग्रामीण अंधविश्वास, पूजा-पाठ व झाड़-फूंक का सहारा लेने को मजबूर रहते हैं। जिससे कई बीमार ग्रामीणों की मौत हो जाती है। काशिया-पेचा गांव निवासी मांगता सुरीन, बोंज गोप, सिंगा हेम्ब्रम, मंगता पुरती, गोनो सुरीन, बुधराम सुरीन ने बताया की हम स्वतंत्र भारत में रहते जरुर हैं लेकिन हम ग्रामीणों को आज तक आंतरिक आजादी नहीं मिल पाई है। इसका मुख्य वजह मुख्य सड़क से हमारे गांव को आज तक जोडा़ नहीं जाना है।
सड़क व पुल-पुलिया के अभाव में वर्षात के मौसम में हमारा गांव टापू में तब्दिल हो जाता है एवं हम ग्रामीण अपने गांवों में कैद हो जाते हैं। सड़क के अभाव में सालों भर गांव में एम्बुलेंस नहीं आता है। जैसे-तैसे मरीजों को अस्पताल पहुंचाते हैं। कई मरीजों की मौत समय पर अस्पताल नहीं पहुंचने से हो गई। गड्ढों व पत्थरों से भरी इस सड़क पर मोटरसाईकल, साइकिल अथवा पैदल चलना भी जोखिम भरा रहता है। लोगों को सरकारी राशन लेने रोवाम गांव जाने में भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। सरकार की अन्य विकास योजनायें भी गांवों तक नहीं पहुंच पाती है। ग्रामीणों ने बताया कि काशिया-पेचा गांव तक सड़क नहीं होने के कारण चुनाव के दौरान आज तक कोई भी प्रत्यासी वोट मांगने या प्रचार-प्रसार हेतु गांव में नहीं आये। विकास से जुड़े प्रशासनिक अधिकारी भी नहीं जाते। यदा-कदा पुलिस व सीआरपीएफ नक्सलियों की तलाश करते पैदल जंगल/पहाड़ होते आती-जाती रहती है। अधिकतर ग्रामीण आज भी बाहरी दुनियां से अंजान हैं।
गांव के ग्रामीण वनोत्पाद व जंगल पर पूरी तरह से निर्भर हैं। रोजगार का भारी अभाव है। गांव से पलायन भी निरंतर जारी रहती है। काशिया-पेचा गांव सेल की गुवा खदान व अन्य बंद पडी़ प्राईवेट खदानों से घिरा है। डीएमएफटी फंड का लाभ सबसे पहले यहां की सड़क, शिक्षा, पेयजल आदि के विकास पर खर्च होना चाहिये था लेकिन कुछ भी नहीं हुआ। दोदारी जलापूर्ति योजना के तहत काशिया-पेचा गांव में एक जलमीनार बनाया गया है, लेकिन आज तक उसमें पानी नहीं पहुंचा। जिस कारण ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल आपूर्ति का लाभ नहीं मिल पाया। ग्रामीण आज भी नदी-नालों में चुआं बनाकर उसका पानी पेयजल के रुप में इस्तेमाल करते हैं।
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