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Chaibasa.नाबालिक छात्र निर्मल साव ने गरीब बच्चों को ऐसे मदद कर महान बना, Minor student Nirmal Sao became great by helping poor children like this,

 


Guwa (Sandeep Gupta) । सेवा भावना का मतलब है, किसी कार्य को नैतिक ज़िम्मेदारी समझकर करना। सेवा भावना को विकसित करने के लिए परिवार और विद्यालय सबसे अच्छे संस्थान हैं। सेल की मेघाहातुबुरु खदान की सुरक्षा में तैनात सीआईएसएफ जवान देवाशीष साव का नाबालिक पुत्र निर्मल साव ने अपने माँ-पिता से मिलने वाले पाकेट खर्च के रुप में पैसों को गलत तरीके से खर्च नहीं कर बल्कि पैसों को संग्रह कर उन पैसों से गर्म कपड़े खरीद पांच गरीब बच्चों को प्रदान किया। इन गरीब बच्चों को अभी सीफा हेस्सा पूर्ती नामक युवती अपने घर पर बतौर ट्यूशन के रुप में पढ़ाती है। 


सर्दी अथवा ठंड के इस मौसम में जब निर्मल साव ने इन बच्चों की स्थिति को देखा तो वह अपने पास जमा पैसों से गर्म कपड़े खरीद वह बच्चों के ट्यूशन वाले स्थल पर पहुंच पांचों बच्चों के बीच गर्म कपड़े अपने हाथों से वितरण किया। शायद इससे बडी़ खुशी निर्मल को बाजार में फास्ट फूड, आइसक्रीम आदि पकवान खाकर भी नहीं मिलता जितना की ऐसे समाज सेवा से मिला होगा। जिन बच्चों को गर्म कपडा़ दिया गया उसमें आयुष करुवा, नंदी जरीका,अमित मारला,सिमरन सिधु एवं सुरेन्द्र शामिल थे। इस दौरान एलिजाबेथ हेस्सा पुरती, अजय हेस्सा पुरती आदि मौजूद थे। 

उल्लेखनीय है कि सेवा भावना से समाज में व्याप्त विषमता और कुरीतियां खत्म होती हैं। परस्पर प्रेम और सौहार्द बढ़ता है और समाज का विकास होता है। व्यक्ति को आत्म संतोष मिलता है और आत्म प्रेरणा का भाव जागृत होता है। व्यक्ति नेतृत्व करने में सक्षम बनता है और दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनता है। जीवन में आवश्यक व्रत के रूप में अपनाना चाहिए।



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