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Chaibasa. विधान से समाधान कार्यक्रम के तहत तांतनगर प्रखण्ड कार्यालय सभागार में विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन, Organization of legal awareness camp in Tantnagar block office auditorium under Vidhan se Samadhan programme.


 Upgrade Jharkhand News, राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकार नई दिल्ली एवं राष्ट्रीय महिला आयोग की पहल पर पश्चिमी सिंहभूम जिला विधिक सेवा प्राधिकार के तत्वावधान में विधान से समाधान ( विधिक जागरूकता) कार्यक्रम का आयोजन किया गया। प्राधिकार के अध्यक्ष एवं प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश मौहम्मद शाकिर के निर्देश में तांतनगर प्रखण्ड कार्यालय के सभागार में उपस्थित ग्रामीणों के बीच ''विधान से समाधान'’ कार्यक्रम के अंतर्गत महिलाओं के हितार्थ कानूनी एवं लाभकारी योजनाओं के दृष्टिगत विधिक जागरूकता शिविर के आयोजन के जरिए लोगों को विभिन्न कानूनी जानकारी प्रदान की गई।


मुख्य रिसोर्स पर्सन के तौर पर  एल ए डी सी ( लीगल एड डिफेंस काउंसिल) के उप प्रमुख सुरेंद्र प्रसाद दास ने अपने संदेश में बताया कि अंतराष्टीय स्तर पर हम एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में उभर रहे है, हमारे देश में महिलाएं भी समान रूप से श्रम कर रही है और अपने कैरियर को लेकर गंभीर है। ऐसे में महिलाओं को  कानून द्वारा दिए गए उनके अधिकारों के प्रति जागरूक भी होना चाहिए। उन्होनें कहा कि समान पारिश्रमिक अधिनियम के अनुसार अगर बात वेतन मजदूरी की हाे तो लिंग के आधार पर किसी के साथ भी भेदभाव नहीं किया जा सकता है। कार्यस्थल पर हुए यौन उत्पीड़न अधिनियम के अनुसार यौन उत्पीड़न के खिलाफ पीड़िता को शिकायत दर्ज करने का पूरा अधिकार है। शिकायत पर तत्काल करवाई होगी। यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को नाम न छापने देने का अधिकार है। अपनी गोपनीयता की रक्षा करने के लिए पीड़ित महिला अकेले अपना बयान किसी महिला पुलिस अधिकारी की मौजूदगी मे या फिर जिलाधिकारी के सामने दर्ज करा सकती है। 

उन्होंने आगे कहा कि यौन पीड़िता किसी भी महिला को मुफ्त कानूनी मदद पाने का पूरा अधिकार है, यदि किसी भी महिला को विधिक सहायता की आवश्यकता होती है तो वह विधिक सेवा प्राधिकार के कार्यालय, लीगल एड क्लीनिक में या अधिकार मित्र के माध्यम से संपर्क कर सकती हैं। उन्होंने और जानकारी देते हुए बताया की एक महिला को सूरज डूबने के बाद और सूरज उगने से पहले गिरफ्तार नही किया जा सकता। किसी खास मामले में एक प्रथम श्रेणी मजिस्टृेट के आदेश पर ही ये संभव है। किसी मामले में अगर आरोपी एक महिला है तो उस पर की जाने वाली कोई भी चिकित्सा जांच प्रक्रिया किसी महिला द्वारा या किसी दूसरी महिला की उपस्थिति में ही की जानी चाहिए। घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिकार की जानकारी देते हुए कहा कि यह अधिनियम मुख्य रूप से पति, पुरूष, लिव इन पार्टनर या फिर घर में रह रही किसी भी महिला जैसे मां या बहन पर की गयी घरेलू हिंसा से सुरक्षा करने के लिए बनाया गया है। आप या आपकी ओर से कोई भी शिकायत दर्ज करा सकता है। 

इसी क्रम में सरकार द्वारा चलायी जा रही विभिन्न योजनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया। इस मौके पर अंचल अधिकारी,  प्रखंड विकास पदाधिकारी, पंचायत पदाधिकारी सहित अधिकार मित्र (पीएलवी) भी उपस्थित थे। उपरोक्त जानकारी प्राधिकार के सचिव राजीव कुमार सिंह ने दी।



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