Default Image

Months format

Show More Text

Load More

Related Posts Widget

Article Navigation

Contact Us Form

Terhubung

NewsLite - Magazine & News Blogger Template

Chaibasa. एसेसमेंट एंड मॉनिटरिंग ऑफ बायोडायवर्सिटी वैल्यू इन सारंडा फारेस्ट डिवीजन पर दो दिवसीय कार्यशाला का हुआ समापन, Two-day workshop on Assessment and Monitoring of Biodiversity Value in Saranda Forest Division concluded,


Guwa (Sandeep Gupta) । सारंडा वन प्रमंडल के डीएफओ अविरूप सिन्हा के नेतृत्व में असेसमेंट एंड मॉनिटरिंग ऑफ बायोडायवर्सिटी वैल्यू इन सारंडा फारेस्ट डिवीजन पर दो दिवसीय कार्यशाला का सफल समापन क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक (सिंहभूम) स्मिता पंकज की अध्यक्षता में सामुदायिक भवन मेघाहातुबुरु में 5 दिसम्बर को किया गया। 


सारंडा वन प्रमंडल के लगभग 820 वर्ग किलोमीटर के जंगल में जैव विविधता मूल्य का आकलन और निगरानी को लेकर मेघाहातुबुरु स्थित सामुदायिक भवन प्रांगण में दो दिवसीय कार्यशाला का समापन समारोह क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक (सिंहभूम) स्मिता पंकज की अध्यक्षता, वन संरक्षक, चाईबासा सह जमशेदपुर शब्बा आलम अंसारी, सारंडा डीएफओ अविरुप सिन्हा एवं संलग्न पदाधिकारी आईएफएस नीतीश कुमार की मौजूदगी में तथा भारतीय वन्यजीव संस्था (देहरादून) के वैज्ञानिक रितेश कुमार गौतम, शोधकर्ता दीपेश कुमार जांगीर, पंकज कुमार सिंह और सुश्री निवेदिता पटनायक की देखरेख में आयोजित व सम्पन्न हुआ। 


इस कार्यशाला में ससंग्दा, गुवा, कोयना एवं समता वन क्षेत्र के पदाधिकारी व वनकर्मी, सेल, मेघाहातुबुरु के सीजीएम व अन्य अधिकारी, वन्य मित्र, मानकी-मुंडा व ग्रामीण शामिल हुये।

कार्यशाला की पृष्ठभूमि:- झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के सारंडा वन प्रमंडल में जैव विविधता मूल्यों का आकलन और निगरानी, ​​सारंडा वन प्रमंडल और भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून का एक संयुक्त प्रयास है। जिसका उद्देश्य सारंडा वन प्रमंडल की समृद्ध जैव विविधताओं का अध्ययन करने के लिए आधुनिक तकनीकों के साथ-साथ अधिक व्यवस्थित सर्वेक्षण विधियों को लागू करना और एक मजबूत रिपोर्ट तैयार करना है। जैव विविधता मूल्य, विविधता और हाथी गलियारे सहित संरक्षण कार्रवाई को प्राथमिकता देने, कारो-करमपदा हाथी गलियारे में जीवों का पूर्ण सर्वेक्षण और अनुसंधान, वन्यजीव आबादी की संरचना और संरक्षण में प्रवृत्तियों की भविष्यवाणी करने और लुप्तप्राय प्रजातियों की पुनर्प्राप्ति योजना तैयार करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए क्षेत्र अध्ययन करने की योजना बनाना हैं। यह पहल सारंडा वन के सतत प्रबंधन और वन्यजीव संरक्षण उपायों को बढ़ाने के लिए साझा प्रतिबद्धता के अनुरूप है। इस कार्यशाला का उद्देश्य सारंडा वन प्रभाग के जैव विविधता मूल्यांकन के लिए हमारे उद्देश्यों और योजनाओं पर चर्चा करना है और साथ ही फ्रंटलाइन कर्मचारियों को क्षेत्र के उपकरणों और संरक्षण रणनीतियों में इसके अनुप्रयोग से परिचित कराना है।


अपने संबोधन में क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक (सिंहभूम) स्मिता पंकज ने कहा कि सारंडा में वन्यजीव का अध्ययन तकनीकी रूप से करना बहुत दिन से पेंडिंग था। यह बहुत बडा़ चैलेंज था जिसे डीएफओ अविरुप सिन्हा ने अपने हाथों में लिया है जो बधाई के पात्र हैं। आगे भी इस तरह के कार्य करते रहे। उन्होंने कहा कि 10 दिन का इस कार्यशाला में तमाम वैज्ञानिक तरीके से तकनीक सिखाया जायेगा। यह सर्वे 10 वर्षों तक चरणबद्ध चलेगा। आप सभी वनकर्मी व इसमें शामिल वन व वन्यप्राणी मित्र भाग्यशाली हैं कि ऐसे कुशल वैज्ञानिकों की टीम के साथ रहकर आपको बहुत कुछ सिखने को मिलेगा। ऐसा मौका हर किसी को नहीं मिलता है। सारंडा के लिये यह इसलिए भी अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि झारखण्ड अथवा विश्व में सारंडा जैसा कहीं और ऐसा साल का जंगल नहीं है। सारंडा में खनन गतिविधियां भी चलती है, लेकिन ऐसे खनन गतिविधियों के बीच हमें सारंडा जंगल एवं जंगल में पाये जाने वाले तमाम प्रकार के वन्यप्राणी व जीव-जन्तुओं, प्राकृतिक जलश्रोतों, वन औषधियों को बचाना बहुत जरुरी है। खनन कंपनियों के लिये भी यह कार्यशाला बहुत महत्वपूर्ण है। 


आपको चिंतन करना होगा कि पिछले साल कितना ठंड, वर्षा, गर्मी आदि थी, लेकिन इस वर्ष ठंड व वर्षा में कमी आयी है, गर्मी में वृद्धि हो रही है, भूमिगत जल स्तर में भारी गिरावट आ रही है। ऐसी स्थिति में हमारे लिये जीना मुश्किल होगा। हम पैसा अच्छा माहौल में जीने के लिये कमाते हैं। जब अच्छा माहौल हीं नहीं मिलेगा तो हम कहां जायेंगे। हमें जौब के लिये खदान व उद्योग भी चाहिये तथा जीने व बेहतर वातावरण के लिये जंगल व वन्यप्राणियों को भी बचाना जरुरी है। सम्पूर्ण जंगल पेड़-पौधे, वन्यप्राणियों व जीव-जन्तुओं को मिलाकर बनता है। सारंडा में जितना वन्यजीव, औषधिय पौधे हैं उतना झारखण्ड के किसी और जंगल में नहीं है। यहाँ का एक-एक पेड़-पौधा, वन्यप्राणी व जीव-जन्तुओं को सेंसेक्स कर उसे प्रोटेक्ट करना बडी़ चुनौती है तथा यह आंकड़ा भविष्य के लिये काफी लाभकारी साबित होगा। आप सभी को एक लीडर के रुप में काम करना होगा। क्योंकि यहाँ की भौगोलिक, वन्यप्राणियों के विचरण क्षेत्र आदि से सबसे ज्यादा वाकिफ आप हैं।


सारंडा डीएफओ अविरुप सिन्हा ने कहा कि बिना वन्यप्राणियों के सारंडा जंगल की ऐतिहासिक पहचान नहीं बन सकती है। वन्यप्राणियों की गणना भारतीय वन्यजीव संस्था (देहरादून) के माध्यम से की जा रही है। इस कार्यशाला में वन्यप्राणियों की गणना संबंधित प्लान औफ एक्शन, इस्तेमाल होने वाले अत्याधुनिक उपकरण आदि के बारे में जानकारी दिया जा रहा है। बिना वनकर्मियों की सक्रियता के बगैर यह रिसर्च कार्य पूर्ण नहीं हो सकता है। क्योंकि आप सभी जंगल के हर चीज से वाकिफ हैं। हमारा जितना भी प्रोजेक्ट चल रहे हैं वह वन व वन्यप्राणियों का संरक्षण, वनों में रहने वाले ग्रामीणों को रोजगार व आजीविका को ध्यान में रखकर चलाया जा रहा है। यह प्रोजेक्ट 10 वर्ष का है लेकिन इसे जल्द पूरा करने की कोशिश की जायेगी। सारंडा के थोलकोबाद और घाटकुडी़ जंगल में कैमरा ट्रैप में कई वन्यप्राणियों की गतिविधियां को कैद किया गया है। वन्यप्राणी प्रबंधन तभी हो सकता है जब इसके बारे में सही पूर्ण डेटा हो। इस डेटा के आधार पर हीं तमाम कार्ययोजना तैयार होगा। उन्होंने कहा कि सिर्फ वनकर्मी हीं नहीं बल्कि हमारे सहयोगी वन मित्र को भी यह सारी तकनीक सिखाया जायेगा। 


इस कार्यशाला में सेल मेघाहातुबुरु के सीजीएम आर पी सेलबम, उप महाप्रबंधक मनोज कुमार, उप महाप्रबंधक संदीप भारद्वाज, आरएफओ, ससंग्दा शंकर भगत, आरएफओ गुआ परमानन्द रजक, आरएफओ कोयना राम नंदन राम, उप परिसर पदाधिकारी छोटेलाल मिश्रा, बलदेव हेम्ब्रम, सुनील सुंडी, शंकर पांडेय, सुमित कुमार, मोनिका पूर्ति आदि दर्जनों मौजूद थे।



No comments:

Post a Comment

GET THE FASTEST NEWS AROUND YOU

-ADVERTISEMENT-

NewsLite - Magazine & News Blogger Template