Jamshedpur (Nagendra) । दुर्लभ प्रजाति का ओरनेट फ्लाइंग स्नेक सांप को नामकुम स्थित आरसीएच कार्यालय (स्वास्थ्य विभाग) में दवा के कार्टून से निकाला गया। इसे आम बोलचाल में तक्षक नाग कहा जाता है। इसे रेस्क्यू किया है पिठोरिया के रहने वाले रमेश कुमार महतो ने. उन्होंने बताया कि सांप की लंबाई लगभग 3 फीट है। रमेश ने बताया कि यह सांप दुर्लभ प्रजाति का है और झारखंड में पहली बार इसे रेस्क्यू किया गया है। यह सांप ज्यादातर पठारी क्षेत्र के झाड़ीनुमा जगहों पर पाया जाता है। सांप की खासियत यह होती है कि यह सांप 100 फीट की ऊंचाई से नीचे जंप कर सकता है।
आमतौर पर यह जमीन में बहुत कम आता है। अधिकतर समय यह पेड़ की टहनियों और पत्तों में ही छिपा रहता है। इसका भोजन मुख्य रूप से छिपकली एवं कीड़े-मकौड़े हैं. यह सांप विलुप्त के कगार पर है। इसे भारत में रेयर कैटेगरी में रखा गया है। रमेश महतो ने बताया कि अभी यह सांप मेरे पास ही है। इसे बिरसा मुंडा जू को सौंपा जाएगा। रमेश महतो, बिरसा जू के स्नैक कंसलटेंट भी हैं।
उन्होंने बताया कि जू में इस सांप के जेनेटिक के बारे में रिसर्च किया जाएगा। चूंकि जू में स्नैक हाउस भी है तो ऐसे में उसे बचा कर रखना भी आसान होगा। बिरसा जू से मिली जानकारी के अनुसार सामान्यतः यह सांप दिखाई नहीं देता है। इसका नेचर कुछ ऐसा होता है कि इसमें ग्लाइडिंग की क्षमता होती है। यह सांप तेजी से ग्लाइडिंग करता है, जिससे लगता है कि ये उड़ रहा है। यह सांप एक पेड़ से दूसरे पेड़ तक छलांग लगाते हुए ‘S’ आकार में लहराता है, जिससे यह उड़ान जैसा प्रतीत होता है। यह सांप ज्यादा जहरीला नहीं होता और अब तक इस सांप से किसी को नुकसान पहुंचने की खबर नहीं है।
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