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Jamshedpur. एचआईवी ग्रसित भी नियमित देखभाल और इलाज से एड्स ग्रसित होने से बच सकते हैं,हताश न हों, क्यूरेबल नहीं पर मैनेजेबल है, उत्थान सीबीओ के विश्व एड्स दिवस के कार्यक्रम में बोले एक्सपर्ट, Even those suffering from HIV can avoid getting AIDS with regular care and treatment, do not despair, it is not curable but manageable, experts said in the World AIDS Day program of Utthan CBO.


Jamshedpur (Nagendra) । आज भी लोग एचआईवी और एड्स के फर्क को नहीं जानते कि एचआईवी एक वायरस है, जबकि एड्स एक ऐसी स्थिति है जो एचआईवी संक्रमण की वजह से होती है। एचआईवी संक्रमित व्यक्ति उचित इलाज और देखभाल से 'एड्स' पीड़ित होने से बच सकता है। यहां तक कि परिवार का सपोर्ट हो, सरकार और प्रशासन से बेहतर सपोर्ट और काउंसलिंग की सुविधा मिले तो मरीज स्टेज 4 से स्टेज वन तक आ सकता है। अक्सर लोग हताश होकर अस्पताल पहुंचते हैं, लेकिन सरकारी अस्पतालों में एआरटी सेंटर की मौजूदगी से हालात बेहतर हुए हैं जहां मरीजों की काउंसलिंग के साथ एआरटी थेरेपी कराई जाती है। फिर भी इस दिशा में और जागरुकता की जरुरत है। ट्रांसजेंडर समुदाय के हित में कार्य रत उत्थान सीबीओ की ओर से बुधवार को बिष्टुपुर स्थित होटल सेंटर प्वाइंट में विश्व एड्स दिवस मनाया गया। जिसमें परिचर्चा के दौरान विभिन्न क्षेत्रों से आए विशेषज्ञों ने उपरोक्त बातें कही।


संस्था की सचिव अमरजीत शेरगिल के नेतृत्व में आयोजित इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे पूर्वी सिंहभूम के सिविल सर्जन डाॅ साहिर पाल ने कहा कि जैसे दुनिया में आई कई बीमारियों की दवा और वैक्सीन का इजाद होता रहा वैसे ही एचआईवी को लेकर भी आगे डेवलपमेंट होंगे। परिचर्चा में मनोवैज्ञानिक अजिताभ गौतम ने कहा कि जानकारी और जागरूकता के अभाव में एचआईवी पीड़ित के साथ एक स्टिग्मा (कलंक) को जोड़ दिया गया है। लोग एचआईवी ग्रसित लोगों के प्रति सहज नहीं हैं, क्योंकि मेंटल और इमोशनल हेल्थ के प्रति जागरुकता नहीं है। जितना ही लोगों को जागरुक किया जाएगा वे सहज होते जाएंगे।


'जिओ और जीने दो' के सिद्धांत पर जीवन होना चाहिए जहां लोग एक दूसरे की समस्याओं के प्रति संवेदनशील हों। कार्यक्रम में अधिवक्ता मनोज कुमार के नेतृत्व में डालसा(जिला विधिक सेवा प्राधिकार)की टीम (पैनल लॉयर्स, पीएलवी व अन्य) भी पहुंची थी , जहां अधिवक्ता मनोज कुमार ने बताया कि डालसा का उद्देश्य है हर तबके तक न्याय पहुंचाना चाहे कोई महिला हो, पुरुष हो या ट्रांसजेंडर.उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में ट्रांसजेंडर समुदाय के लोग एचआईवी ग्रसित होते हैं। पहले से ही समाज में भेदभाव के शिकार हैं इस समुदाय के लोग, बीमार होने या एचआईवी ग्रसित होने की स्थिति में और भी परेशानियों से दो चार होते हैं। 


कार्यक्रम में इस बात पर भी चर्चा हुई की जागरुकता में मीडिया रिपोर्टिंग का क्या रोल हो सकता है। पत्रकार नीतू दुबे ने कहा कि मीडिया से जुड़े लोगों और आम जनता सबको सोच बदलने की जरूरत है। भले ही मेडिकल के क्षेत्र में इतनी तरक्की हो गई, दवाइयां भी आ गईं पर हालत यह है कि घर में एचआईवी पीड़ित को अलग रखा जाता है, जबकि यह छूने से नहीं फैलता है। सामाजिक कार्यकर्ता पूर्वी घोष ने कहा कि शिक्षा का विकास हो तो समाज अंधकार से प्रकाश की ओर जाएगा। पत्रकार अन्नी अमृता ने उदाहरण देकर बताया कि कैसे एक दशक पहले जिले में जागरुकता के अभाव में एचआईवी पीड़ित लोगों को या परिवार को सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ता था जिनकी खबर दिखाने पर जिला प्रशासन संज्ञान लेकर मदद करता था अब स्थिति बेहतर है। 


एमजीएम अस्पताल के एआरटी सेंटर की काउंसिलर शगुफ्ता परवीन ने बताया कि सेंटर में बताया जाता है कि अगर पति एचआईवी इंफेक्टेड है तो कैसे पति के नियमित दवा लेने और उचित देखभाल व काउंसलिंग  से वह लगातार निगेटिव रह सकती है। साथ ही इसकी भी जानकारी दी जाती है कि अगर पत्नी गर्भवती हो तो बच्चा कैसे निगेटिव पैदा हो। पिछले कुछ सालों से एमजीएम में एचआईवी से ग्रसित एक भी बच्चा पैदा नहीं हुआ है। कार्यक्रम में जिला आरसीएच पदाधिकारी आरके पांडा,सदर अस्पताल के सेंटर काउंसिलर रामचंद्र, ऑर्थोपेडिक सर्जन डाॅ रवि कौशल,अंकिता,हिमांशी,उषा सिंह,आलिया, कई सामाजिक कार्यकर्ता,अधिवक्ता , पीएलवी और अन्य मौजूद थे।



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