Jamshedpur (Nagendra) । पटमदा प्रखंड के बेलटांड़ चौक स्थित तिलका माझी पार्क में रविवार को माझी पारगाना महाल बारहा दिशोम और आसेका ब्रांच पटमदा के संयुक्त तत्वावधान में 22वां संथाली भाषा दिवस मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ तिलका माझी की मूर्ति पर पूजा अर्चना एवं माल्यार्पण करते हुए अतिथियों द्वारा श्रद्धा सुमन अर्पित कर किया गया। इसमें मुख्य वक्ता के रूप में आसेका झारखंड के महासचिव शंकर सोरेन, माझी बाबा दीपक मुर्मू, आसेका के अध्यक्ष सुभाष मांडी, जिला पार्षद प्रदीप बेसरा, आसेका के पूर्व अध्यक्ष अर्जुन सोरेन व ग्राम प्रधान सुधीर चंद्र टुडू शामिल हुए।
मुख्य वक्ता शंकर सोरेन ने कहा कि संथाल समाज के लिए आज का दिन विशिष्ट है, क्योंकि आज ही के दिन संथाली भाषा को भारतीय संविधान की 8वीं अनुसूची में सम्मिलित करने के लिए लोकसभा में विधेयक पारित किया गया था और आज ही के दिन 1855 में संथाल परगना की स्थापना भी हुई थी। उन्होंने कहा कि पंडित रघुनाथ मुर्मू ने ओलचिकि का अविष्कार 1925 में किया और उस वक्त लिपि को स्थापित करना अपने आप में बड़ी चुनौती थी, परंतु आज संथाली भाषा की अपनी लिपि और उसकी मान्यता भी है।
कार्यक्रम में अन्य वक्ताओं ने भी विचार व्यक्त किया । संथाली भाषा दिवस को एक उत्सव के रूप में मनाते हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया। कार्यक्रम में पूर्व प्रखंड प्रमुख जीतेन मुर्मू, विधायक प्रतिनिधि चंद्र शेखर टुडू , जितुलाल मुर्मू, दिवाकर टुडू, शंकर मांडी, सागर मांडी, सुकदेव हेम्ब्रम, वसंत मुर्मू, टीकाराम मुर्मू, नगेन बास्के व सुभाष कर्मकार शामिल थे।
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