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Jamshedpur. बह्मा के पुत्र ही हमारे दिव्य पितृ, चंद्रमा द्वारा पहुंचता है तर्पण, It is through the son of Brahma, our divine father, the moon, that the offering reaches,


Jamshedpur (Nagendra) । बह्मा के पुत्र दिव्य पितृ हैं और हमारे द्वारा दिया गया तर्पण चंद्रमा के माध्यम से स्वर्ग-नर्क लोक में रहने वाले पितृ को मिलता है। यह कहना है हरियाणा से आए कथावाचक हरिवंश वत्स महाराज का। सोनारी के दोमुहानी स्थित गीता भवन में गुरुवार से श्री हरिवंश महापुराण का शुभारंभ हुआ। पहले दिन व्यासपीठ से कथावाचक ने श्री हरिवंश महापुराण के महत्व, उसके विधि-विधान, श्रोता व वक्ता के श्रवण करने का नियम, स्त्री के पांच द्वोष के विषय में विस्तार से बताया। कथा के दौरान उन्होंने बताया कि श्री हरिवंश महापुराण सभी पुराणों का सार है जिसका वर्णन वेद व्यास जी ने किया है। राजा परिक्षित के बेटे जन्मेजय को अंधक व वैष्णी के बारे में जानकारी देने के लिए इस पुराण की रचना हुई है। 



उन्होंने बताया कि स्वर्गलोक में सात दिव्य पितृ हैं जिसमें से चार मूर्तिकार के रूप में पूजित (अर्यम्मा, अग्नि, वैराज व मनु) हैं जिन्हें दिया गया तर्पण चंद्रमा के माध्यम से पहुंचता है। जबकि नर्क में रहने वाले पितृ की हम पूजा नहीं करते हैं। उन्होंने बताया कि पितृ को दिया जाना वाला तर्पण बहुत जरूरी है क्योंकि यही तर्पण हमारे द्वारा मन, शरीर व वाणी से किए गए पाप कर्मों से बचाता है। उन्होंने बताया कि देवता दो तरह के होते हैं, एक शरीर बनाने वाला बह्मा और दूसरा ज्ञान देने वाला। वहीं, उन्होंने बताया कि सूर्य पुत्र यम (धर्मवृत) ही फैसला करते हैं कि हमारे द्वारा किया गया कर्म से हमें स्वर्गलोक मिलेगा या नरकलोक।

स्त्रियों में होते हैं पांच तरह के दोष - कथावाचक हरिवंश महाराज ने बताया कि स्त्रियों में पांच तरह के दोष होते हैं जो उन्हें पिछले कर्मों से प्राप्त होते हैं। इसमें निस्तंतान, गर्भ में बच्चे का मृत होना, जन्म के बाद बच्चे का मृत हो जाना, लड़के के बाद लड़की या लड़की के बाद लड़के का जन्म न हो, एक तरह का दोष ही है। उन्होंने बताया कि हरिवंश महापुराण का श्रवण करने से ये सारे पाप मिट जाते हैं लेकिन इसके श्रवण की भी विधि है।

निकली भव्य शोभा यात्रा - इससे पहले सुबह में गीता भवन में पंजाग पूजा के बाद पं. साकेत कुमार पांडेय ने सभी देवी-देवताओं का आहवान किया। इसके बाद 201 महिलाएं पीली साड़ी धारण कर सिर पर कलश लेकर गाजे-बाजे व रथ के साथ जयकारा लगाते हुए सोनारी के दोमुहानी संगम पहुंची। यहां गंगा पूजन के बाद कलश में जल लेकर क्षेत्र का भ्रमण करते हुए सोनारी राम मंदिर पहुंची। यहां कलश पूजन के बाद सभी वापस गीता भवन पहुंचे। इस मौके पर माता योगेश्वरी मुनिषा देवी, अनुराधा शर्मा, शिव हूक्कू, गुंजन हुक्कू, अर्जुन लाल, पदम ठाकुर सहित बड़ी संख्या में स्थानीय निवासी उपस्थित थे।



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