Jamshedpur (Nagendra) । हिरण कश्यप के पुत्र कालनेमी ने ही अगले जन्म में कंस बनकर अपने 6 पुत्रों का वध किया था। श्री हरिवंश महापुराण के चौथे दिन व्यास पीठ से श्री रविकांत वत्स महाराज ने धरती पर श्री कृष्ण अवतार और दानवो के अंत की कथा सुनाई। सोनारी दोमुहानी स्थित गीता भवन में श्री हरिवंश महापुराण का आयोजन हो रहा है। महापुराण के चौथे दिन व्यास पीठ से श्री रविकांत महाराज ने धरती पर दानवों के बढ़ते अत्याचार और भगवान श्रीकृष्ण के अवतरण की कथा सुनाई।
उन्होंने बताया कि हिरण कश्यप के पौत्र भगवान ब्रह्मा की उपासना कर उन्हें प्रसन्न किया और वरदान मांगा कि उनकी मृत्यु ना किसी देवता से, ना दानव से ना गंधर्व से और न ही किसी ऋषि मुनि से हो। ब्रह्मा से ऐसा वरदान मिलने से सभी बहुत प्रसन्न थे लेकिन इससे उनके दादा हिरण कश्यप नाराज हुए और उन्होंने श्राप दिया कि तुम्हारी मृत्यु अगले जन्म में तुम्हारे पिता के हाथों ही होगी। इसलिए देवकी के 6 पुत्रों के रूप में षठ गर्भ दानवो की उत्पत्ति हुई जिसे कालनेमि के रूप में अगले जन्म उनके पिता कंस ने ही उनका वध कर दिया। धरती पर बढ़ते अत्याचार को देखते हुए सातवें गर्भ के रूप में रोहिणी के गर्भ से भगवान बलराम का और आठवीं से श्री कृष्ण का जन्म हुआ।
भगवान विष्णु के शयन के बाद दानवों का बढ़ा अत्याचार - श्री रविकांत महाराज ने बताया कि भगवान विष्णु कालनेमी से हुए युद्ध समाप्ति के बाद आषाढ़ माह के शुक्ल एकादशी को शयन निद्रा में गए तो धरती पर दानवो का अत्याचार बड़ा और पृथ्वी बढ़ते असंतुलन से परेशान रही। उन्होंने भगवान ब्रह्मा से उपासना कर इसका हल खोजने का आग्रह किया। ब्रह्मा के आदेश पर महामाया ने भगवान विष्णु को निद्रा से जागृत किया। इसके बाद भगवान विष्णु के आदेश पर पृथ्वी का संतुलन को संतुलित करने के लिए सभी देवता अंशावतार के माध्यम से धरती पर अवतरित होने का आदेश दिया इससे ही कौरव और पांडव का जन्म हुआ और महाभारत का युद्ध हुआ लेकिन जब इससे भी पृथ्वी का संतुलन ठीक ना हुआ तो विष्णु खुद अवतरित हुए और उन्होंने असुरों का संघार कर संतुलन को ठीक किया।
जब मुनि ने उत्पन्न किया अपना अग्निपुत्र - कथा के दौरान महाराज बताते हैं कि ऋषि भृगु के पुत्र मुनि ने औरवे नाम से अपना एक पुत्र को जांघ में तिनका रगड कर उत्पन्न किया। इस मायावी पुत्र का तेज अग्नि के समान था और उत्पत्ति के साथ ही उसने कहा कि मुझे भूख लगी है मुझे बताया जाए कि मैं क्या खाऊं और कहां रहूं नहीं तो मैं सबको भस्म कर दूंगा। इस पर ब्रह्मा ने उन्हें समुद्र में रहने और भूख लगने पर उसका ही जल पीने का आदेश दिया। उन्हें आदेश दिया कि वह समुद्र में ही रहेंगे प्रलय के समय जरूरत पड़ने पर उन्हें बुलाया जाएगा और वह प्रलय के दौरान अत्याचार का भस्म कर धरती के संतुलन को बनाएंगे।
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