Jamshedpur (Nagendra) । घोर कलयुग में जब पाप चरम पर होगा तो धर्म की रक्षा करने के लिए भगवान विष्णु के 10वें अवतार कलकी का अवतार होगा। वे विष्णु यथा ब्राह्मण के घर जन्म लेंगे। अधर्म का नाश करने और धर्म की स्थापना करने के लिए वे हाथ में तलवार धारण करेंगे। उनके सिर पर पगड़ी और घोड़ा उनकी सवारी होगी। श्री हरिवंश महापुराण के तीसरे दिन भगवान विष्णु के सभी अवतारों का वर्णन करते हुए व्यासपीठ से रविकांत वत्स ने ये बातें कहीं। दोमुहानी के कैलाशनगर स्थित गीता भवन में श्री हरिवंश महापुराण के दौरान उन्होंने बताया कि कलयुग के अंतिम चरण में मनुष्य की औसत आयु मात्र साढ़े 12 वर्ष होगी।
उन्होंने बताया कि देवताओं की गणना के अनुसार सतयुग 4000 दिव्य वर्ष, त्रेता 3000 दिव्य वर्ष, द्वापर 2000 दिव्य वर्ष और कलयुग 1000 दिव्य वर्ष का है। भगवान कालिक पापियों का नाश कर एक बार फिर सतयुग की स्थापना करेंगे। इस दौरान रविकांत महाराज ने भगवान वराह, नरसिंह अवतार, परशुराम अवतार, वामन अवतार, बुद्ध अवतार कथा का भी वर्णन किया। उन्होंने बताया कि रोहिणी का पुत्र बलराम के अलावा एक पुत्री भी थी जिसका जन्म लेते ही मृत्यु हो गई थी। जन्म लेने वाली कन्या को पछतावा हुआ कि उन्होंने कृष्ण लीला नहीं देख पाएगी इसलिए उसने फिर से सुभद्रा के रूप में जन्म लिया था।
जब यदु ने अपने पुत्र से मांग ली थी जवानी - श्री हरिवंश महापुराण का वर्णन करते हुए महाराज ने राजा यदु के वंश का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि इसी कुल में यदु के पांच पुत्र हुए। इन्होंने अपने सभी पुत्रों से उनकी जवानी मांगी। चार पुत्रों ने मना कर दिया लेकिन पांचवे पुत्र यदु ने अपनी जवानी देकर पिता का बुढ़ापा लिया था। इसी यदु के वंश में भगवान कृष्ण का भी जन्म हुआ था। वहीं, उन्होंने बताया कि धनवंतरि के भी दो बार जन्म हुआ था। पहला समुद्र मंथन द्वारा और दूसरा राजा अव्य के बेटे के रूप में। धनवंतरि ने भी मानव कल्याण के लिए आयुर्वेद को आठ भागों में विभक्त किया था।
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