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Jamshedpur. श्री हरिवंश महापुराण कथा का हुआ समापन ,राक्षसों का वध कर भगवान श्रीकृष्ण ने द्वारका में संचालित किया राजपाठ, The story of Shri Harivansh Mahapuran ended, after killing the demons, Lord Shri Krishna conducted the Rajpath in Dwarka.


Jamshedpur (Nagendra) । भगवान श्रीकृष्ण का अवतार ही संपूर्ण राक्षसों का वध कर उन्हें मुक्ति देने के लिए हुआ था। उन्होंने पौंड्रक सहित हंस और डिम्बक जैसे राक्षसों सहित सभी राक्षसों का वध किया और मानव कल्याण के लिए द्वारका से अपना राज-पाठ संचालित किया। श्री हरिवंश महापुराण के अंतिम दिन हरियाणा के यमुना पार से आए महाराज रविकांत वत्स ने कथा का वर्णन किया। 



उन्होंने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने शिव के हजारों गण जो भूत-प्रेत बने हुए थे, आशीर्वाद देकर उन्हें भी मोक्ष दिया। इस कुल में कई ऐसे राक्षस हुए जिन्होंने भगवान ब्रह्मा और शिव की घोर तपस्या कर वरादान प्राप्त किया और बलशाली होते ही ऋषि-मुनियों, ब्राह्मणों और जनमानस पर अत्याचार करने लगे। भगवान श्रीकृष्ण ने इन सभी का वध कर सभी का कल्याण किया। समापन कथा से पहले यज्ञ और पूर्णाहुति हुई और सभी के बीच भोग के रूप में खीर-खिचड़ी का भी वितरण किया गया।


जब भगवान श्रीकृष्ण ने किया शिव की तपस्या- व्यासपीठ से रविकांत महाराज ने बताया कि रूकमणी ने भगवान श्रीकृष्ण से अपने लिए बेटे की कामना की। इसके लिए भगवान ने मंदराचल पर्वत पर जाकर 12 वर्षों तक घोर तपस्या की। भगवान शिव को प्रसन्न किया और कामदेव को प्रद्यूमन के रूप से संतान का आशीर्वाद दिया। महापुराण के समापन के दौरान उन्होंने स्वर्ण, ताम्र पात्र, जनेव, शहद का पात्र से लेकर सात कमंडल का दान ब्राह्मणों को देने से मिलने वाले पुण्य का भी वर्णन किया।



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