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Jamshedpur. श्रीनाथ विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय आठवां अन्तर्राष्ट्रीय हिंदी महोत्सव, Three-day eighth International Hindi Festival at Srinath University,


 Jamshedpur (Nagendra) । आदित्यपुर स्थित श्रीनाथ विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय आठवां श्रीनाथ अन्तर्राष्ट्रीय हिंदी महोत्सव का शुभारंभ किया गया । महोत्सव का शुभारंभ मुख्य अतिथि माननीय विधायक इचागढ़ श्रीमती सविता महतो ,  संस्थापक शंभू महतो, श्रीमती संध्या महतो विश्वविद्यालय के कुलाधिपति सुखदेव महतो , जीएआडीए  के निदेशक दिनेश रंजन, विश्वविद्यालय के वरिष्ठ सलाहकार कौशिक मिश्रा, वक्ता सदानंद शाही , प्रभाकर सिंह , विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो डॉ एस एन सिंह इत्यादि के द्वारा दीप प्रज्ज्वलित  कर किया गया । मुख्य अतिथि श्रीमती सविता महतो ने विश्वविद्यालय प्रबंधन को बधाई देते हुए कहा कि हमारा यह सौभाग्य है कि हमारे क्षेत्र में हिंदी को समर्पित एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का महोत्सव हो रहा है और हम सब इसका  हिस्सा बन रहे हैं। इस अवसर पर दिनेश रंजन ने अपने वक्तव्य में कहा कि भाषा जहां भाषाविदों के बीच एकता लाती है उस एकता को कोई तोड़ नहीं सकता। 



हिंदी हमारा सम्मान, अभिमान और पहचान है ।  पूर्व कुलपति डॉ गोविंद महतो ने कहा कि विभिन्न विश्वविद्यालय से आए छात्र-छात्राएं अलग-अलग प्रतियोगिताओं में हिस्सा बनेंगे । हिंदी भारत को शैक्षणिक और सांस्कृतिक रूप से एक धागे में पिरोती है । हिंदी एक वैज्ञानिक भाषा है और हमें अपनी भाषा पर गर्व होना चाहिए । अतिथि के रूप मे उपस्थित आस्तिक महतो ने कहा कि आज जो काम श्रीनाथ विश्वविद्यालय हिंदी भाषा के लिए कर रहा है उस काम का बीड़ा हम सबको भी उठाना चाहिए। चिंतन मनन दो सत्रों में संचालित हुआ जिसमें पहले सत्र में दिल्ली विश्वविद्यालय की कुमुद शर्मा अरुणाचल प्रदेश से श्रीमती मोरजूम लोई एवं यूनाइटेड किंगडम से सुश्री दिव्या माथुर सम्मिलित हुई। वहीं कुमुद शर्मा से सवाल पूछा गया कि आपके देश के शीर्षस्थ पत्र पत्रिकाओं में समीक्षात्मक लेख, सामाजिक समस्याओं पर लेख अंग्रेजी कहानियों के अनुवाद और कई पुस्तक प्रकाशित हो चुकी हैं जो विभिन्न विश्वविद्यालय में पढ़ाई जाती है मेरा आपसे प्रश्न है हमारे देश में लेखन का इतिहास बहुत पुराना है पहले भी लेखक लिखा करते थे आज भी लिख रहे हैं आपको पहले और वर्तमान के लेखकों के लिए आज देश में जो स्थिति है आप उसमें क्या अंतर देखती हैं। 



इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि वाकई पहले के समय में और आज के लेखकों के समय में काफी अंतर है और यह अंतर स्पष्ट दिखाई पड़ता है जो पहले लेखको की जो स्थिति थी वह स्थिति आज नहीं है क्योंकि पाठक अब उन्हे प्रकाशको का जो प्यार  मिल रहा है शायद पहले वह नहीं मिल पाता था। वहीं मोर्जुम लोई से जब सवाल पूछा गया आपने भोजपुरी भाषा को अपने शोध कार्य के लिए क्यों चुना इस पर उन्होंने कहा कि मेरी भोजपुरी में रुचि रही है और कुछ लोक गायक ऐसे हैं जिन्हें मैं बहुत पसंद करती हूं शायद यही वजह थी कि मैं भोजपुरी लोकगीतों को अपने शोध कार्य के लिए चुनी। वहीं दिव्या माथुर से पूछा गया लंदन में हिंदी भाषा के प्रति वहां के लोगों की क्या सोच है क्या हिंदी भाषा को लेकर युवाओं के लिए रोजगार के अवसर हैं इस प्रश्न का जवाब देते हुए दिव्या जी ने कहा कि बहुत ज्यादा लंदन में लोग हिंदी भाषा एवं भारतीय संस्कृति को पसंद करते हैं इसलिए रोजगार के कई अवसर यूनाइटेड किंगडम में भी हिंदी भाषा को लेकर के उपलब्ध है।



वहीं सदानंद शाही से जब पूछा गया कि क्या वजह है कि आज का युवा किताबों से दूर हो रहा है इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि ऐसी बात नहीं है कि सभी युवा किताबों से दूर हो रहे हैं बल्कि आज का युवा ज्यादा सचेत हो चुका है और तकनीक को लेकर बहुत आगे बढ़ चुका है। जो हमारे समय में युवाओं को उपलब्ध नहीं था वह तकनीक आज उनके साथ है इसलिए आज का युवा बहुत तेजी से आगे बढ़ने के लिए भी तैयार है। मौके पर कुलाधिपति सुखदेव महतो ने कहा कि श्रीनाथ विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय हिंदी महोत्सव हिंदी भाषा के लिए एक छोटा सा प्रयास है और हमारी यह कोशिश होती है कि इस महोत्सव के द्वारा हम देश-विदेश के विद्वानों को एक मंच पर ला सके साथ ही विद्यार्थियों को विभिन्न प्रतियोगिताओं से जोड़े, ताकि उनका भाषा का ज्ञान भी बढे और  तकनीक से भी वे खुद को जोड़ सके।



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