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New Delhi. लालू यादव का कांग्रेस के प्रति इतनी बेरुखी, अब ‘इंडिया’ के लिए दीदी पर ‘ममता’, Lalu Yadav's indifference towards Congress, now 'Mamata' on Didi for 'India',


Upgrade Jharkhand News. लालू यादव कांग्रेस के प्रति इतनी बेरुखी दिखाएंगे, सोनिया गांधी या राहुल ने कभी सपने में न सोचा होगा। दूसरे विपक्षी दलों से कांग्रेस को भले कोई उम्मीद नहीं रही हो, लेकिन लालू से उन्हें ऐसी उम्मीद नहीं थी। पहले तेजस्वी यादव ने ममता बनर्जी को इंडिया ब्लॉक का नेता बनने पर सहमति दी तो अब लालू ने भी इस पर मुहर लगा दी है। लालू ने भी कहा है कि ममता को इंडिया ब्लॉक का नेता बनना चाहिए। लालू के कांग्रेस से जैसे रिश्ते रहे हैं, वैसे में यकीनन यह बात कांग्रेस नेताओं को हैरतअंगेज लगी होगी।


लालू-तेजस्वी के कांग्रेस से मुंह मोड़ने की एक खास वजह बताई जाती है। अगले साल बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की मनमानी से बचने का लालू-तेजस्वी को मौका मिल गया है। तेजस्वी को मालूम है कि बिहार में कांग्रेस कोई करिश्मा करने की स्थिति में नहीं है। 2020 के चुनाव में कांग्रेस ने लालू को पटाकर जरूरत से अधिक सीटें ले ली थीं, लेकिन जीत का स्ट्राइक रेट वैसा नहीं था। दर्जन भर सीटों के कारण तेजस्वी सीएम बनने से चूक गए थे। इस बार तेजस्वी कांग्रेस को उतना भाव देने के मूड में नहीं हैं। कांग्रेस ने पहले से ही सीट शेयरिंग का जो फॉर्मूला बनाया है, उसमें आरजेडी उलझ सकता है। लोकसभा में नौ सीटों पर लड़कर कांग्रेस ने तीन सीटें जीती हैं जबकि आरजेडी ने 23 पर लड़कर सिर्फ चार सीटें जीतीं। कांग्रेस जीत के स्ट्राइक रेट को बिहार विधानसभा के चुनाव में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला बनाना चाहती है। बिहार कांग्रेस प्रभारी शाहनवाज आलम ने कहा था कि इंडिया ब्लॉक में कोई बड़ा भाई या छोटा भाई नहीं है। लोकसभा चुनाव में जिस पार्टी का जो स्ट्राइक रेट रहा है, उसी आधार पर सीटों का बंटवारा होगा।


लालू और गांधी परिवार के रिश्ते नए नहीं हैं। लालू ने उस वक्त उनका साथ दिया जब साथ खड़ा होने में कांग्रेस के लोग भी कतरा रहे थे। लालू की कांग्रेस से नजदीकी तब बढ़ी थी जब उन्होंने राम मंदिर के लिए यात्रा पर निकले लालकृष्ण आडवाणी का रथ बिहार में रोक दिया था। ऐसा लालू ने तब किया था जब उसी साल 1990 में भाजपा की मदद से लालू मुख्यमंत्री बने थे। सोनिया ने जब कांग्रेस की कमान संभाली और कांग्रेस को केंद्र में सरकार बनाने का मौका मिला तो विदेशी मूल के सवाल पर उनका खूब विरोध हुआ। तब लालू ने सदन में सोनिया का साथ दिया था। 2023 में राहुल को जब मानहानि मामले में सर्वोच्च अदालत से राहत मिली तो वे सबसे पहले लालू से मिलने ही गए। उन दिनों लालू किडनी ट्रांसप्लांट के बाद अपनी बेटी मीसा भारती के दिल्ली स्थित आवास पर रह रहे थे। वहां न सिर्फ लालू ने उन्हें राजनीति के मंत्र दिए बल्कि बिहारी स्टाइल में बने मटन की दावत भी दी। फिर तो लालू के घर राहुल की आवाजाही शुरू हो गई। राहुल अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा के क्रम में जब बिहार आए तो लालू के बेटे तेजस्वी यादव ने उनके ड्राइवर की भूमिका भी निभाई थी।


लोकसभा चुनाव में राहुल के नेतृत्व को कामयाबी नहीं मिली। उसके बाद हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में भी विपक्षी गोलबंदी कारगर साबित नहीं हुई। कभी अरविंद केजरीवाल बिदके तो कभी अखिलेश यादव नाराज हुए। ममता ने लोकसभा चुनाव में ही विपक्षी गठबंधन से किनारा कर लिया था। जिस उत्साह से विपक्षी गठबंधन ने आकार लिया, उस पर चुनाव परिणामों ने पानी फेर दिया। तब ममता को मौका मिल गया और उन्होंने गठबंधन के नेतृत्व को नाकार बताते हुए खुद लीड करने का शिगूफा छोड़ दिया। उसके बाद तो शरद पवारउद्धव ठाकरेअरविंद केजरीवालअखिलेश यादव ने बारी-बारी से ममता का समर्थन कर दिया। लालू और तेजस्वी उस स्थिति में नहीं हैं कि अलग राग अलापते। इसलिए उन्होंने भी ममता के प्रस्ताव पर सहमति दे दी है।



 

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