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Jamshedpur. मानगो नगर निगम और जेएनएसी क्षेत्रों में बनाएंगे जनसुविधा समितियां : सरयू राय , Public convenience committees will be formed in Mango Municipal Corporation and JNAC areas: Saryu Rai


Jamshedpur (Nagendra) । जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक सरयू राय ने ऐलान किया है कि वह मानगो नगर निगम और जेएनएसी क्षेत्रों में अलग-अलग जनसुविधा समितियां बनाएंगे। उन्होंने कहा कि पानी, बिजली, सड़क, नाली, कचरा आदि के निराकरण की दिशा में जो भी लोग काम करना चाहते हैं, वह इन समितियों में शामिल हो सकते हैं। जनसुविधा समिति के सदस्य किसी भी पार्टी के हो सकते हैं और किसी भी राजनीतिक दल के सदस्य नहीं हो सकते हैं। उन्हें अपने क्षेत्र की समस्याओं की जानकारी और निराकरण के बारे में जानकारी होनी चाहिए। बिष्टुपुर स्थित अपने आवास/कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में श्री राय ने कहा कि केंद्र सरकार ने ठोस कचरा प्रबंधन अधिनियम बनाया लेकिन झारखंड में उसका पालन नहीं हो रहा है। दो-तीन जिलों में कुछ काम हुए हैं पर वो नाकाफी हैं। उन्होंने बताया कि मानगो नगर निगम का चुनाव चार माह के भीतर होना है, ऐसा अदालत का आदेश है। उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि चार माह के भीतर चुनाव होंगे, परिणाम आएंगे तो जो लोग विजयी हुए हैं, वो बैठेंगे कहां। मानगो नगर निगम का अपना कार्यालय तक नहीं है। 



संवाददाता सम्मेलन में सरयू राय ने झारखंड के वित्त मंत्री से अपील की कि वे कठोर बजट बनाएं। लोकप्रिय बजट के चक्कर में न पड़ें। सरकार के पास प्रचंड बहुमत है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य प्रशासन बजट को खर्च करने की ताकत पैदा करे। राज्य सरकार केंद्रीय सहायता में मिले धनराशि को खर्च करे। एक सवाल के जवाब में श्री राय ने कहा कि झारखंड का प्रशासन लचर है, इसलिए फायदा नहीं हो पा रहा है राज्य सरकार को। उन्होंने वित्तमंत्री को सुझाव दिया कि वह अपने विभागों से, विभिन्न मंत्रियों से बात करें और उनसे पूछें कि जो पैसे मिलते हैं, उन्हें वह कितना खर्च कर पाते हैं और कहां खर्च करते हैं। उन्हें विभागीय सचिवों से पूछना चाहिए कि हम आपको जो पैसे दे रहे हैं, आप खर्च क्यों नहीं कर पा रहे हैं। 



अभी हालत ऐसे हैं कि दिसंबर माह में ही बजट सरेंडर किया जा रहा है, दूसरे विभागों को दिया जा रहा है। इससे राज्य की अर्थव्यवस्था सुधरेगी नहीं। राज्य का प्रशासन तंत्र प्रभावी हो। पैसे अगर खर्च हुए हैं तो उसका क्या प्रभाव दिखा, यह भी जनता के सामने रखने की जरूरत है। सरयू राय ने कहा कि अब चार खदानें चालू होने वाली हैं। ये खदानें केंद्र सरकार चालू कराएगी। श्री राय ने इस बात पर घोर चिंता जताई कि राज्य सरकार लौह-अयस्क के खदानों को चलाने के लिए न तो लाइसेंस दे पाई, ना ही उन्हें नीलाम कर पाई। यह राज्य सरकार का काम था कि वह माइंसों को नीलाम करती। सरकार ने ऐसा नहीं किया। 



श्री राय ने कहा कि सरकार को चाहिए कि वह अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए विभागों की नकेल कसे, कड़ाई से पेश आए। उन्होंने सरकार को सलाह दी कि वह केंद्र से लड़े नहीं, संघर्ष की स्थिति पैदा न करे। समन्वय स्थापित करे। तलवारबाजी से काम नहीं चलेगा। एक सवाल के जवाब में श्री राय ने कहा कि सरकार बार-बार कहती है कि केंद्र के पास उसका 1.36 लाख करोड़ रुपये का बकाया है। सरकार को चाहिए कि वह जनता को बताए कि 1.36 लाख करोड़ किन-किन मदों में बकाया है, किस मद में कितने पैसे की लेनदारी है। इसे जनता के सामने रखना चाहिए। ऐसे ही मांगने से नहीं मिलेगा वह धन, यह तय मानिए। श्री राय ने यह भी कहा कि 1.36 लाख करोड़ से राज्य की अर्थव्यवस्था नहीं सुधरेगी। श्री राय ने कहा कि झारखंड सरकार को देखना चाहिए कि विकसित राज्य सरकारें कैसे एक से दो बेहतरीन अफसरों की नियुक्ति दिल्ली में करती हैं। उन्होंने कहा कि रेजीडेंट कमिश्नर ऐसा होना चाहिए, जो केंद्र में लायजनिंग कर सके और राज्य की जरूरी फाइलों को आगे बढ़वा सके ताकि राज्य का कल्याण हो। 



श्री राय ने कहा कि झारखंड को उत्पादक राज्य बनने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए, उपभोक्ता राज्य नहीं। उन्होंने तर्क दिया कि हर उपभोक्ता राज्य को जीएसटी में नुकसान उठाना पड़ता है। सरकार बजट सत्र में अपनी कमी-खूबियों को पारदर्शिता के साथ बताए, तभी वित्तमंत्री का लोगों से राय लेना सफलीभूत हो सकेगा। श्री राय ने कहा कि सरकार को आंतरिक संसाधनों से धन पैदा करना होगा। इस दिशा में सरकार को आगे बढ़ना चाहिए, जनता के बीच बातों को रखना चाहिए।



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