Guwa (Sandeep Gupta) सारंडा के छोटानागरा मचानगुटू मैदान में सोमवार को झारखंड सरकार की विधानसभा स्तरीय समिति की मौजूदगी में एक बड़ी आमसभा आयोजित हुई। उद्देश्य था सारंडा को वन्य अभ्यारण (सेंचुरी) घोषित करने के प्रस्ताव पर ग्रामीणों की राय लेना। सभा में हजारों ग्रामीण, पंचायत प्रतिनिधि, मुंडा-मानकी, जनप्रतिनिधि और सामाजिक संगठन शामिल हुए। कार्यक्रम स्थल पर प्रशासन की ओर से सुरक्षा व परिवहन की विशेष व्यवस्था की गई थी। सारंडा डीएफओ अभिरूप सिन्हा ने संबोधन के बाद समिति ने ग्रामीणों से सीधे संवाद की शुरुआत की और स्पष्ट किया कि जनता की राय ही अंतिम रिपोर्ट का आधार बनेगी।
ग्रामीणों ने जमीन, परंपरागत अधिकार, पूजा स्थल और वनोपज संरक्षण की मांग उठाई। खदानों के बंद होने और रोजगार न मिलने पर नाराजगी जताई गई। विस्थापन की आशंका और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी पर भी सवाल उठे। चिड़िया खदान अस्पताल की बदहाली और पोंगा नदी पर पुल नहीं बनने का मुद्दा प्रमुख रहा। विभिन्न गांवों के प्रतिनिधियों ने कहा कि ग्रामसभा की अनुमति के बिना सेंचुरी का कोई औचित्य नहीं है। कुछ ने सेंचुरी को विकास का अवसर बताया, तो कुछ ने इसे आदिवासी अधिकारों पर खतरा माना।
सेंचुरी के पक्ष में तर्क दिए गए कि इससे वन्यजीव संरक्षण, ईको-टूरिज्म और पर्यावरणीय संतुलन को बढ़ावा मिलेगा। वहीं विरोध में कहा गया कि खेती, चराई, वनोपज और रोजगार पर असर पड़ेगा तथा विस्थापन की स्थिति बनेगी। समिति अध्यक्ष मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि सरकार लोकतांत्रिक प्रक्रिया का सम्मान करती है और जनता की भावनाओं के विपरीत कोई निर्णय नहीं लेगी।



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