Guwa (Sandeep Gupta) केंद्र सरकार ने दवाइयों पर लगने वाले गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) में उपभोक्ताओं को राहत देते हुए 22 सितंबर से दर को 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत कर दिया है। सरकार के इस फैसले से उम्मीद की जा रही थी कि आम आदमी को दवा खरीदने में आर्थिक राहत मिलेगी। लेकिन वास्तविकता यह है कि जीएसटी में कटौती का सीधा असर उपभोक्ताओं तक अभी तक नहीं पहुंच पाया है। गुवा के मेडिकल स्टोरों में दवाइयां अब भी पुराने एमआरपी यानी प्रिंटेड रेट पर ही बेची जा रही हैं। ग्राहकों का कहना है कि जब टैक्स कम हो गया है तो कीमतें भी घटनी चाहिए थीं, लेकिन दुकानदार और कंपनियां अभी तक नई दरों के अनुसार दवा उपलब्ध नहीं करा रही हैं।
इससे उपभोक्ता नाराज़ हैं और सरकार की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं। स्थानीय मेडिकल दुकानदारों का कहना है कि उन्हें जो दवा थोक विक्रेताओं और कंपनियों से मिल रही है, उस पर पुराने प्रिंटेड एमआरपी ही अंकित हैं। ऐसे में वे भी उसी दर पर बेचने को मजबूर हैं। जब तक कंपनियां नए एमआरपी के साथ दवाएं बाजार में उपलब्ध नहीं करातीं, तब तक ग्राहकों को टैक्स घटने का फायदा नहीं मिलेगा। इधर, उपभोक्ता संगठनों ने सरकार और दवा कंपनियों से अपील की है कि जरूरी दवाओं पर टैक्स कटौती का लाभ शीघ्रता से आम जनता तक पहुंचाया जाए, ताकि लोग वास्तव में राहत महसूस कर सकें।
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