Guwa (Sandeep Gupta) सारंडा वन क्षेत्र को वाइल्ड लाइफ सेंचुरी घोषित करने के मुद्दे पर झारखंड सरकार द्वारा रोवांम फुटबॉल मैदान में आम सभा का आयोजन किया गया। इसमें लगभग 2500 ग्रामीण शामिल हुए और करीब तीन घंटे तक अपनी बात रखी। ग्रामीणों ने अपनी संस्कृति, परंपरा और आजीविका के सवालों को सर्वोच्च न्यायालय तक पहुँचाने की मांग की। सभा की शुरुआत सारंडा डीएफओ अभिरूप सिन्हा के संबोधन से हुई। इसके बाद दर्जनों ग्रामीणों ने सेंचुरी निर्माण का विरोध करते हुए तीर-धनुष उठाकर नारेबाजी की। ग्रामीण प्रतिनिधियों ने कहा कि यदि सेंचुरी बनी तो उनकी परंपराएं, संस्कृति और जीविका संकट में पड़ जाएगी। ग्रामसभा की अनुमति लिए बिना ऐसा कोई निर्णय स्वीकार्य नहीं है। रामेश्वर चांपिया, अमर सिंह सिद्धू, बुद्धराम सिद्धू, कृष्णा टोपनो समेत कई वक्ताओं ने कहा कि माइंस और उद्योग तो जंगल व नदियों को बर्बाद कर रहे हैं, लेकिन रोजगार नहीं दे रहे।
ऐसे में सेंचुरी बनना आदिवासी समाज के अस्तित्व और अधिकारों पर प्रहार होगा। सभा की अध्यक्षता मंत्री दीपक बिरुवा ने की। उन्होंने कहा कि “ग्रामीणों की विरासत, सांस्कृतिक धरोहर, जीवकोपार्जन की विधि और उनकी भावनाओं को सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष रखा जाएगा।” उन्होंने आश्वस्त किया कि सरकार लोकतांत्रिक व्यवस्था का सम्मान करती है और जनता की राय को सर्वोपरि मानकर ही आगे की प्रक्रिया तय होगी। कार्यक्रम में सांसद जोबा माझी, विधायक सोनाराम सिंकू, विधायक जगत माझी, जिला परिषद सदस्य लक्ष्मी सोरेन, उपायुक्त चंदन कुमार, पुलिस अधीक्षक अमित रेणु समेत बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि और अधिकारी मौजूद रहे।
सभा का निष्कर्ष यह निकला कि सारंडा में विकास बनाम अधिकार की जंग छिड़ी हुई है। जहां एक ओर पर्यावरण और वन्य जीव संरक्षण की जरूरत है, वहीं दूसरी ओर आदिवासियों की आजीविका और परंपरागत अधिकार भी उतने ही अहम हैं। अब फैसला सर्वोच्च न्यायालय और सरकार की पहल पर निर्भर करेगा।



No comments:
Post a Comment