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Jamshedpur क़ौमी सिख मोर्चा ने मुंबई हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत किया Qaumi Sikh Morcha welcomes the decision of the Mumbai High Court

 


  • महाराष्ट्र सरकार का फैसला खारिज, बहाल हुआ बोर्ड

Upgrade Jharkhand News. सिख संस्था कौमी सिख मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता कुलबिंदर सिंह ने मुंबई हाई कोर्ट के औरंगाबाद खंडपीठ के फैसले का स्वागत किया है। जिसमें राज्य सरकार के फैसले को खारिज करते हुए माननीय हाई कोर्ट ने दो महीने के भीतर नांदेड़ सिख गुरुद्वारा सचखंड श्री हजूर अबचलनगर साहिब बोर्ड नांदेड़ महाराष्ट्र को अधिसूचना जारी होने के पहले की यथास्थिति को बहाल करने का आदेश दिया है। 


अधिवक्ता कुलबिंदर सिंह के अनुसार 2022 में तत्कालीन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने राजनीतिक कारणों से एक तरफा फैसला लेते हुए बोर्ड को भंग कर प्रशासक नियुक्त कर दिया था। साथ ही फैसला लिया था कि वह नया बोर्ड गठन हेतु विधानसभा में कानून बनाएंगे। भाजपा की युति सरकार के मुखिया देवेंद्र फडणवीस ने श्री अकाल तख्त साहब एवं दुनिया भर के सिखों की नाराजगी के मद्देनजर विधानसभा में प्रस्तावित अधिनियम को नहीं रखा, और मामला लटक गया। 



वही एकनाथ शिंदे के फैसले के खिलाफ पहली याचिका 2022 एवं दूसरी याचिका 2024 में सिखों ने दाखिल की और सरकार के फैसले को गलत ठहराया। न्यायमूर्ति आरजी अवचट और न्यायमूर्ति अबासाहेब शिंदे की पीठ ने याचिकाओं का निपटारा करते हुए कि राज्य सरकार की कार्रवाई अवैध है क्योंकि यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करती है। अदालत ने पाया कि बोर्ड को भंग/अधिक्रमित करने से पहले बोर्ड के प्रत्येक सदस्य को 30 मई, 2022 का कारण बताओ नोटिस ठीक से नहीं दिया गया था।



पीठ ने कहा कि कारण बताओ नोटिस दोषपूर्ण था क्योंकि यह केवल प्रेसिडेंट को संबोधित था, बोर्ड के प्रत्येक सदस्य को नहीं। इसके अलावा, राज्य सरकार ने प्रशासनिक चूकों की शिकायतों, जिनमें नियमित बैठकें आयोजित न करना, खातों की ऑडिटिंग में देरी और एक धार्मिक जुलूस के दौरान महामारी संबंधी आदेशों का उल्लंघन शामिल है, के संबंध में चल रही एक जाँच की रिपोर्ट प्राप्त करने से पहले ही यह नोटिस जारी कर दिया। माननीय हाई कोर्ट ने टिप्पणी की, "यह कल्पना करना कठिन है कि राज्य सरकार, आरोपों के बारे में कोई निष्कर्ष निकाले बिना, नांदेड़ सिख गुरुद्वारा सचखंड श्री अबचलनगर साहिब अधिनियम, 1956 की धारा 53 (1) के तहत नोटिस कैसे जारी कर सकती है, और अकेले प्रेसिडेंट को कारण बताओ नोटिस कैसे दे सकती है।"



पीठ ने आगे कहा कि जाँच रिपोर्ट सदस्यों के साथ कभी साझा नहीं की गई, जिससे उन्हें निष्पक्ष सुनवाई से वंचित होना पड़ा।  हाई कोर्ट ने इस तर्क पर भी विचार किया कि गुरुद्वारा बोर्ड का कार्यकाल समाप्त हो चुका है, और कहा कि अधिनियम की धारा 8 के तहत, नए बोर्ड के गठन तक सदस्य पद पर बने रहते हैं। पीठ ने निष्कर्ष निकाला कि सरकार के इस कदम में कानूनी वैधता का अभाव है और बोर्ड के अधिक्रमण को अवैध घोषित किया। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि सरकार ने अनुचित जल्दबाजी और राजनीतिक उद्देश्यों के साथ काम किया क्योंकि बोर्ड को पिछली (एमवीए) सरकार के अंतिम दिन भंग कर दिया गया था।सनद रहे कि श्री हजूर साहब में श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने जीवन के अंतिम समय गुजारे थे और वहां में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को अंतिम गुरु मानने का आदेश सिखों को दिया।



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