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Nimdih गौरडीह में भड़का आक्रोश: “आबुआ सरकार नहीं, जनता सरकार चाहिए” — एसएम स्टील प्रोजेक्ट के खिलाफ ग्रामीणों का संग्राम तेज Anger erupts in Gaurdeh: “We don’t want an Abua government, we want a people’s government” — villagers intensify their struggle against the SM Steel project

 


Upgrade Jharkhand News.  नीमडीह प्रखंड के गौरडीह पंचायत भवन में सोमवार को माहौल कुछ अलग था — हर चेहरे पर तनाव, हर हाथ में कागज़, और हर मन में एक ही सवाल — क्या हमारी जमीन अब हमारी नहीं रही? ग्रामसभा जैसे ही शुरू हुई, अध्यक्ष मदन मोहन सिंह की आवाज़ गूंजी — “हम अपनी जमीन किसी कीमत पर नहीं देंगे।” और यह वाक्य पूरे हाल में बिजली की तरह दौड़ गया। तालियों और नारों की गूंज में एक भाव था — गुस्से और संकल्प का। सभा में नीमडीह, गौरडीह, रघुनाथपुर, सांगिड़ा, केतूंगा और सुंडीदीह — इन छह मौजा के ग्रामीणों ने एक साथ ऐलान किया कि वे प्रस्तावित एसएम स्टील एंड पावर लिमिटेड की स्थापना किसी भी हाल में नहीं होने देंगे। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि ज़मीन अधिग्रहण की प्रक्रिया में फर्जीवाड़ा हुआ है। 95% से अधिक जमीन मालिकों ने कोई सहमति नहीं दी, फिर भी कागज़ों में सौदे पूरे दिखाए जा रहे हैं। दलालों पर आरोप लगा कि उन्होंने 44 हजार रुपये प्रति डिसमिल की दर वाली ज़मीन को सिर्फ 11 हजार दिखाकर करोड़ों की हेराफेरी की। कई किसानों को तो अब तक एक रुपया तक मुआवजा नहीं मिला।


गौरडीह की एक वृद्धा ने फफकते हुए कहा — “हमसे कहा गया जमीन का पैसा 11हजार रुपया डिसमिल ही मिलेगा बाकी का नौकरी देंगे, नहीं तो पैसा नहीं मिलेगा। लेकिन टैक्स तो सरकार लेती है, दलाल क्यों?” उसके शब्दों ने सभा को मौन कर दिया। सभा में वक्ताओं ने कहा कि आने वाली 11 नवंबर को प्रस्तावित “आम जनसुनवाई” सिर्फ नाम की है — जन की नहीं, कंपनी की सुनवाई होगी।ग्रामीणों ने साफ कहा कि उस दिन वे मुख्यमंत्री, विधायक और मंत्री के पुतले फूंककर अपना विरोध दर्ज कराएंगे। उनका आरोप है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, ईचागढ़ विधायक सविता महतो और मंत्री दीपक बिरुआ कंपनी पक्ष में खड़े हैं, जनता के साथ नहीं।



सभा में राधाकृष्ण सिंह मुंडा ने घोषणा की — “हमने उपायुक्त को ज्ञापन दिया है, अगर कार्रवाई नहीं हुई तो उपायुक्त के खिलाफ भी कानूनी कदम उठाएंगे। न्यायालय ही आख़िरी रास्ता है।”ग्रामसभा के बाद भी लोग वहीं टिके रहे — कोई चुपचाप सोच में डूबा, तो कोई गुस्से में बड़बड़ाता। लेकिन सबके मन में एक ही आग थी — जमीन सिर्फ माटी नहीं, हमारी अस्मिता है।अब यह लड़ाई सिर्फ एक कंपनी के खिलाफ नहीं, बल्कि उस व्यवस्था के खिलाफ है जो “आबुआ सरकार” के नाम पर “कॉरपोरेट सरकार” बनती जा रही है।गौरडीह से उठी यह आवाज़ अब पूरे नीमडीह की मिट्टी में गूंज रही है —“जान देंगे, जमीन नहीं देंगे!”



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