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"हो" भाषा को संविधान के आठवीं अनुसूची और झारखंड राज्य में प्रथम राजभाषा घोषित करवाने को लेकर पुनः पदयात्रा कुईड़ा से निकली

 


चक्रधरपुर. "हो" भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करवाने और झारखंड के प्रथम राजभाषा में घोषित करवाने को लेकर हो समाज के सैकड़ों संघर्षशील लोगों ने एटे तुरतुंङ्ग सुल्ल पिटिका अकड़ा झींकपानी के नेतृत्व में 300 किलोमीटर की पदयात्रा आज गोईलकेरा प्रखंड के कुईड़ा गांव से विधिवत् पूजा अर्चना के पश्चात पदयात्रा कुईड़ा से 9 बजे सुबह निकली। 

यह पदयात्रा विभिन्न गांव से लोगों को आगामी 21 अगस्त को जंतर मंतर पर होने वाली विशाल धारना प्रदर्शन में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करने हेतु अपील करते हुए यह यह यात्रा कुईड़ा गांव से आरंभ होकर कदमडीहा, नरसंड़ा, ईचाहातू, कासीजोड़ा, नुगड़ी, सायतबा, चाकोबसाई, बोरकेला, करकट्टा, डंगुरपी, पंचो, होते हुए आज की पदयात्रा नरसंडा में रूकेगी और रात्रि ठहराव भी नरसंडा में होगी। कल सुबह 9 बजे यात्रा पुनः नरसंडा से निकलकर गंतव्य स्थान के लिए निकलेगी।

बताते चले कि 300 किमी की पदयात्रा 31 जुलाई से आरंभ हई और यह यात्रा जोड़ापोखर, झींकपानी में समाप्ति के बाद 21 अगस्त को भारत की राजधानी दिल्ली स्थित जंतर मंतर पर विशाल एक दिवसीय धरना प्रदर्शन भारत सरकार के समक्ष हो भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने की मांग की जाएगी.

 जिसमें झारखंड, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, असम, छत्तीसगढ़ आदि राज्य के लोग धारना प्रदर्शन में शामिल होंगे। इस पर यात्रा में मुख्य रूप से एटे तुरतुंङ्ग सुल्ल पिटिका अकड़ा झींकपानी केंद्रीय अध्यक्ष दामोदर सिंह हाँसदा, केरा पीड़ के मानकी  सिद्धेश्वर समाड, महेंद्र जमुदा, अनंत कुमार हेंब्रोम, सिरजोन हाईबुरु, बसिल हेंब्रोम, प्रताप सिंह बनरा और काफी तादाद में महिला पुरुष अपनी भाषा संस्कृति को पहचान दिलाने के लिए संघर्षरत है।

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