गुवा । नक्सल प्रभावित सारंडा स्थित निर्माणाधीन लगभग 9 किलोमीटर लंबी छोटानागरा-उसरुईया सड़क, उसरुईया पूल एवं सड़क किनारे का गार्डवाल का निर्माण तमाम नियमों को ताक पर रखकर किया जा रहा है। गार्डवाल के निर्माण में सारंडा जंगल एवं प्राकृतिक नदी-नाला के पत्थरों का इस्तेमाल अवैध तरीके से कर फॉरेस्ट अधिनियम का उलंघन किया जा रहा है।
इससे सरकारी राजस्व को भारी नुकसान पहुंच रहा है। ये सब विभागीय पदाधिकारियों की मिलीभगत से ठेकेदार द्वारा किया जा रहा है। इस कार्य में लगे मजदूरों को भी न्यूनतम मजदूरी नहीं दी जा रही है। नाबालिग मजदूरों को भी कम पैसा देकर काम पर लगाया गया है। इन्हीं सारे भ्रष्टाचार से संबंधित मामले को लेकर बीते दिनों सांसद गीता कोड़ा ने कार्य का निरीक्षण कर कार्य बंद करवा दिया था। उन्होंने मुख्यमंत्री से शिकायत कर विभागीय जांच कराने की बात कही थी। उसके बावजूद ठेकेदार द्वारा कार्य प्रारम्भ कर दिया गया है। उल्लेखनीय है कि उक्त योजना लगभग 3.22 करोड़ रुपये की लागत से संचालित है।
योजना के ठेकेदार जितेन्द्र गुप्ता हैं। सड़क प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत ग्रामीण विकास विभाग, कार्य प्रमंडल चक्रधरपुर की देखरेख में बनाया जा रहा है। कार्यस्थल पर लगाये गये बोर्ड पर प्राक्लन राशि, ठेकेदार का नाम तक नहीं दिया गया है। कार्य प्रारम्भ करने की तिथि 30 नवम्बर 2022 तथा समाप्त होने की तिथि 30 मार्च 2023 है। गार्डवाल निर्माण के लिए पत्थर सारंडा जंगल व पास के नदी से चोरी कर लगाया जा रहा है। इससे वन विभाग व सरकारी राजस्व को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
वन विभाग ने इसी शर्त पर एनओसी दिया था कि ठेकेदार जंगल-नदी के पत्थरों, पेड़-पौधों आदि को किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचायेगा। लेकिन ठेकेदार ठीक उसके विपरीत कार्य कर रहा है। सारंडा वन प्रमंडल के नये डीएफओ अविरुप सिन्हा के सामने अब इस मामले की जांच कर ठेकेदार के खिलाफ कार्यवाही करने की बड़ी चुनौती है।
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