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वरिष्ठ साहित्यकारों की संस्था फुरसत में ने शिक्षक दिवस पर काव्य गोष्ठी व विचार विमर्श का आयोजन किया, Fursat Mein, an organization of senior litterateurs, organized a poetry seminar and discussion on Teacher's Day.


जमशेदपुर।  वरिष्ठ साहित्यकारों की संस्था फुरसत में ने शिक्षक दिवस पर काव्य गोष्ठी और विचार विमर्श का आयोजन किया। इस अवसर पर अनेक स्वरचित कविताएं काव्य की विविध विधाओं में पढी गई। और शिक्षक जीवन के संघर्ष तथा सामाजिक योगदान पर चर्चा हुई। कवियित्री किरण सिन्हा ने प्रथम प्रस्तुति दी। अंधकार में भटक गया उसका जीवन/जिसको. मिला न गुरू का ज्ञान *.वहीं संस्था की वरेण्य अध्यक्ष डा सरित किशोरी श्रीवास्तव ने कहा शिक्षक से बडा कोई वरदान नहीं है। इससे बडा कोई सम्मान नहीं है।


कार्यक्रम की अगली रचना डा मीनाक्षी कर्ण की थीगुरु की महिमा है अपरंपार/चरणों में ही जीवन सार**इंदिरा पाण्डेय ने कहा शिक्षक ज्ञान की आधारशिला है .उनके ज्ञान से जीवन का मार्ग प्रशस्त होता है .कवयित्री तथा संचालिका पद्मा मिश्रा की अपनी प्रस्तुति थीअंधकार में जो प्रकाश की.राह दिखाते हैं.वंदनीय जग में गुरु की अनुपम सौगाते हैं*-वरिष्ठ कबयित्री छाया प्रसाद ने कहा*तुम हो शिष्य हमारे.तुम हो वीरों सम प्यारे डा मनीला कुमारी मानसी ने हाइकु कविताओं की सुंदर प्रस्तुति दी।


शिक्षक हस्त/पडे शिशु मस्तक/होता उद्धार *सरिता सिंह ने निर्मला पुतुल की रचना का पाठ किया *उतनी दूर मत ब्याहना बाबा *अंत में अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार आनंद बाला शर्मा जी ने कहाशिक्षक ने दिया ज्ञान का भंडार हमे और भविष्य के लिए तैयार हमें .आभारी है हम उनके जो किया कृतज्ञ अपार हमें *..श्रीमती इंदिरा पाण्डेय ने धन्यवाद ज्ञापन किया।







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