चक्रधरपुर। दक्षिण पूर्व रेलवे के पीसीपीओ महुआ वर्मा के निर्देश पर पश्चिम बंगाल के खड़गपुर रेल मंडल अंतर्गत नंदीग्राम में रेल पटरी निर्माण कार्य के दौरान विस्थापित हुए लोगों को चक्रधरपुर रेल मंडल में बहाल किया गया। बुधवार को चक्रधरपुर रेल मंडल मुख्यालय में देर रात तक नियुक्ति पत्र बांटा गया। बता दें कि पश्चिम बंगाल के नंदीग्राम से तक़रीबन 156 विस्थापित लोग बुधवार को चक्रधरपुर रेल मंडल के कार्मिक विभाग के रिक्रूटमेंट सेक्शन पहुंचे। जहाँ से सभी को रेलवे में बहाली को लेकर नियुक्ति पत्र दिया गया।
इसके बाद मेडिकल आदि प्रक्रिया पूरी करने के बाद सभी को पोस्टिंग चक्रधरपुर रेल मंडल के विभिन्न स्टेशनों में कर दी जाएगी। जानकारी के अनुसार विस्थापित लोगों को रेलवे के ट्रेकमेन के पद पर सबसे ज्यादा लोगों को बहाल किया जा रहा हैं। इसके अलावे रेलवे अस्पताल सहायक सहित अन्य पदों पर भी इन्हें बहाल किया जा रहा है। पश्चिम बंगाल के नंदीग्राम से झारखण्ड के चक्रधरपुर नौकरी पाने आये विस्थापितों का कहना है की उनकी जमीन रेल निर्माण कार्य में चली गयी थी, लेकिन रेलवे ने उन्हें मुआवजा और नौकरी नहीं दी। जिसके बाद उन्होंने 12 साल के लम्बे वक्त तक हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ी।
कोर्ट ने उनके पक्ष में सुनवाई करते हुए रेलवे को नौकरी देने को कहा। जिसके बाद रेलवे अब इन्हें बहाल करने को बाध्य हुई और उन्हें चक्रधरपुर में नियुक्ति पत्र सौंपा जा रहा है। इधर इस मामले को लेकर चक्रधरपुर के रेल मंडल में विस्थापित हुए रैयत भी एकजुट होने लगे हैं। मालूम रहे की पिछले दिनों गीता कोड़ा ने डीसी और डीआरएम के साथ डीआरएम कार्यालय चक्रधरपुर में बैठक कर पदापहाड़ के विस्थापितों को रेलवे में नौकरी और मुआवजा देने को लेकर वार्ता की थी।
मामला कुछ दिन आगे बढ़ने के बाद ठंडे बस्ते में चला गया। अब जब पश्चिम बंगाल के विस्थापितों को चक्रधरपुर में बहाल करने की बात सामने आई है तो विस्थापित इसका विरोध करने लगे हैं। विस्थापितों को लगने लगा है की उनका हक मारा जा रहा है। खड़गपुर रेल मंडल के विस्थापितों को चक्रधरपुर रेल मंडल में कैसे नोकरी दी जा रही हैं । अब देखना होगा कि चक्रधरपुर रेल मंडल का विस्थापित लोगों को कब तक नौकरी लगेगा?
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