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साहित्यिक समूह *फुरसत में* मासिक काव्य गोष्ठी का किया आनलाइन आयोजन, Literary group *in leisure* organized monthly poetry seminar online,


जमशेदपुर। वरिष्ठ रचनाकारों के साहित्यिक समूह *फुरसत में*मासिक काव्य गोष्ठी का आनलाइन आयोजन किया गया। जिसमें सभी सदस्यों ने भाग लिया। सर्वप्रथम सचिव डा मनीला कुमारी ने सभी का स्वागत किपा एवं कथाकार पद्मा मिश्रा ने मंच संचालन करते हुए सर्वप्रथम अहमदाबाद से शामिल लोकप्रिय कवयित्री डा उमा सिंह से  सरस्वती वंदना के लिए अनुरोध किया। अत्यन्त सुमधुर भावप्रवण सरस्वती वंदना ने सभी को मोह लिया। हे शारदे मां..हे शारदे मां..अज्ञानता से हमें त्राण दे मां।

वहीं पुणे से जुड़ी वरिष्ठ रचनाकार श्रीमती किरण सिन्हा से सस्वर कविता पाठ के लिए आमंत्रित किया। उनकी रचना..झांकने लगी है सुनहरी चुलबुली धूप मेरी खिड़की से ओढ़कर गुलाबी ओढ़नी लिए यादों के खूबसूरत लम्हें लुभाती है मन को, दूसरी रचना श्रीमती छाया प्रसाद की थी। जिनकी रचना ने सभी को प्रभावित किया। पति परमेश्वर राम पर कितना गर्व हुआ होगा। जब रावण वध सुना  होगा।

तीसरी रचनाकार पद्मा मिश्रा ने माचिस की तीलियों पर अपनी रचना प्रस्तुत कर सभी को अचंभित किया। न जाने .कब कहां .कैसे सुलग उठती हैं तीलियां.. अभिव्यक्ति के गहरे अंधेरे से निकल कर एक छोटी सी चिंगारी. जला देगी सपनो के राजमहल। संयोजक समिति की सदस्य इंदिरा पाण्डेय ने अपना गीत सस्वर प्रस्तुत किया और प्रशंसा प्राप्त की। तत्पश्चात समूह की सचिव डा मनीला कुमारी ने अपनी कविता सुनाई...*"पोल खोल " बिना सड़क और भवन के कागज़ में सड़क और भवन दिख सकता है।

डा उमा सिंह की कविता बदलते मौसम को समर्पित रही -.*मैं धार हूं नदिया की रंग तरंग में बहती हूं , संग संग दो किनारों के मैं बीच में बहती हूं। अंत में समूह की अध्यक्ष वरिष्ठ कवयित्री आनंद बाला शर्मा ने  कवि गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए अपना वक्तव्य दिया और रचनाए भी प्रस्तुत की *मिलन भरत संग हुआ राम का..मिले भाई से भाई घी के दीए जले अयोध्या में खुशी में दीवाली मनाई। 

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