क्षेत्र में शोक की लहर, श्रद्धांजलि देने आए सैकड़ों लोग
हाता। पोटका प्रखंड के अंतर्गत हाड़ियाँन गांव में स्थित महामाया आश्रम का संचालक, रूपकार और तारा मां के साधक पूजनीय अशोक दास बाबाजी का 15 नवंबर को सुबह 7.04 बजे ब्रह्मलीन हो गए। वे करीब 70 वर्ष के थे तथा काफी दिनों से बीमार चल रहे थे। महामाया आश्रम की स्वर्ण जयंती पूरा करके बाबाजी ने मां तारा के चरणों में हमेशा के लिए चले गए। बाबाजी करीब 20 साल पहले इस क्षेत्र में तारा पीठ से आये थे। बाबाजी तारा मां के साधक थे। पहले मुक्तेस्वर धाम में करीब 5 साल सेवा दिए।
उसके बाद महामाया आश्रम का बागडोर संभाला। करीब 15 सालों से आश्रम की सेवा की। वर्तमान जो हम आश्रम का नया रूप देख रहे हैं यह सभी अशोक दास बाबाजी का परिश्रम और साधना का फल है। उनके समय में ही काली मंदिर, शिव मंदिर, गणेश मंदिर, हनुमान मंदिर, शिव पार्वती मंच, अकर्शनिय मुख्य द्वार आदि का निर्माण हुआ है। बाबाजी ने काया कल्प ही बदल दिया है। बोला जाय तो आश्रम को तीर्थस्थान बना दिया है। उनके आकस्मिक निधन से केवल महामाया आश्रम का ही नहीं, बल्कि इस क्षेत्र का अपूरणीय क्षति हुई है।
बाबाजी एक मिलनसार, कर्मठ और परिश्रमी संत थे। वे मृत दाह सत्कार करने का माहिर व्यक्ति थे। करीब करीब सभी स्तर के लोगों के साथ बाबाजी का मधुर संबंध था। आज उनका आकस्मिक निधन सुनकर भीड़ उमड़ पड़ी।सभी स्तर के लोग उनको श्रद्धांजलि देने पहुँचे। अश्रु पूरित नयन से कर्मयोगी और साधक अशोक बाबाजी को अंतिम विदाई दी। खेपा बाबा के दिशा निर्देश से बाबाजी को आश्रम में समाधि दी गई। उनकी आत्मा की शांति के लिए भक्तजनों, गुणीजनों तथा माताजी आश्रम हाता और बाबाजी आश्रम हाता के भक्तजनों ने भगवान और माँ तारा से प्रार्थना की।
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