रांची। उत्तराखंड टनल से बाहर आये झारखंड के 15 मजदूर और उनसे मिलने गये 12 परिजन शुक्रवार रात 8 बजे इंडिगो एयरलाइंस की फ्लाइट से रांची पहुंचे। बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पर मजदूरों का भव्य स्वागत किया गया। राज्य सरकार की ओर से श्रम मंत्री सत्यनांद भोक्ता और विभाग के सचिव राजेश शर्मा ने मजदूरों का स्वागत किया। वहीं भाजपा और कांग्रेस के भी कई नेताओं ने एयरपोर्ट पर उनका स्वागत किया। एयरपोर्ट के बाहर ढोल-नगाड़े बजाकर मजदूरों का स्वागत हुआ।
एयरपोर्ट से निकलने के बाद सभी मजदूरों को बस में बैठाकर सीधा मुख्यमंत्री आवास ले जाया गया। सीएम के मुलाकात के उन्हें सर्किट हाउस में ठहराया जाएगा और शनिवार को सभी अपने-अपने घर जाएंगे। 28 सितंबर को उत्तरकाशी के सिल्क्यारा टलन से सबसे पहले खूंटी के कर्रा के रहने वाले विजय होरो को निकाला गया था। विजय होरो अपने प्रदेश पहुंचने के बाद काफी खुश थे। कहा की जिंदा रहने की उम्मीद खो दी थी। उन्होंने रेस्क्यू ऑपरेशन कर मजदूरों को निकालने के लिए सरकार को धन्यवाद दिया।
कहा कि जहां पर मलबा गिरा था वहीं उनकी ड्यूटी थी। टनल में फंसने के बाद आंखों के सामने अंधेरा छा गया था। 16 दिन तक टलन के अंदर रहने के बाद लगा था कि शायद बाहर निकल ही पाएं। टनल में फंसने के बाद पहले 24 घंटे तो मोबाइल से अंदर रोशनी थी, लेकिन जब मोबाइल भी डिस्चार्ज हो गया तो अंधेरे में दिन काटा। 2 दिन बाद समय का पता ही नहीं चला कब दिन और कब रात हो रही थी। उन्होंने कहा कि परदेस जाकर कौन नौकरी करना चाहता है।
झारखंड सरकार यहीं नौकरी दे दे। टनल से निकले जमशेदपुर के डुमरिया के टिंकू सरकार ने कहा कि 16 दिन तक हर पल भगवान से यही दुआ मांगता रहा कि किसी भी तरह सही-सलामत बाहर निकल जाएं। घर की याद आ रही थी। बीमार मां, भाई-बहन सबका चेहरा सामने घूम रहा था। हर दिन महज 600 रुपये की दिहाड़ी पर काम कर रहा था। परिवार को छोड़कर बाहर नहीं जाना चाहता था, लेकिन मजबूरी है। मां बीमार रहती है।
बहन की शादी करवानी है। काफी जिम्मेदारियां हैं। अगर झारखंड में अच्छा काम मिल जाए तो क्यों बाहर जाएंगे। उन्होंने टनल से रेस्क्यू करने के लिए केंद्र सरकार और झारखंड वापस लाने के लिए हेमंत सरकार को धन्यवाद दिया।
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