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देश के सभी न्यायालय में लगे राजेंद्र प्रसाद एवं डॉ अंबेडकर की प्रतिमा, Statues of Rajendra Prasad and Dr. Ambedkar installed in all the courts of the country

न्यायालय में हो सुंदर फुलवारी, संघीय सरकार आदेश नहीं देती तो इसे पीआईएल समझा जाए 

जमशेदपुर। जिला बार एसोसिएशन के सदस्य एवं वरीय अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू ने राष्ट्रपति को पत्र लिख देश के सभी न्यायालय में देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद एवं संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा लगाने की मांग की है। पप्पु के अनुसार सदियों की गुलामी के दौर में हमारे पूर्वजों ने देश की पहचान एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में स्थापित करने के लिए जान की कुर्बानी दी। बड़ा ही कष्टदायक उनका जीवन रहा, परंतु उद्देश्य प्राप्ति में किसी तरह की कोर कसर नहीं रखी।

अंग्रेजी राज्य में स्वाधीनता का उद्देश्य प्राप्त करने के लिए,राष्ट्रीय आंदोलन के दौर में हिंदू मुस्लिम सिख इसाई उच्च नीच जाति का भेदभाव खत्म करने और आदर्श रामराज स्थापित के लिए हमारे राष्ट्रीय नेताओं ने साल 1928 में ही संविधान का निर्माण किया और सभी के अधिकारों की रक्षा की गारंटी दी। महात्मा गांधी के शांतिप्रिय आंदोलन के पहले ही ज्योतिबा फुले, महामना मालवीय सर सैयद अहमद खान जैसे लोगों ने शिक्षा का दीप जलाए और अंग्रेजों को अपने संविधान का सही तरीके से पालन करने हेतु एक बड़ी शिक्षित युवाओं की फौज तैयार की।

इसी दौर में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर एवं देशरत्न डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद डॉक्टर सच्चिदानंद सिन्हा जैसे असंख्य वकीलों कानून विद की भूमिका रही की एक आदर्श संविधान का निर्माण हुआ। जिसका श्रेय देश की जनता डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद एवं बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को देती है। महामहिम जी यह विडंबना है कि हमारे देश की नई पीढ़ी राष्ट्रीय आंदोलन की बात छोड़ दें, हमारे देश के आजादी के राष्ट्रीय आंदोलन के पांच महान नेताओं का नाम भी क्रमशः नहीं ले सकती है।

इस देश की युवा पीढ़ी और आने वाले पीढ़ियों को यह याद रहे कि इस अखंड मजबूत भारत राष्ट्र के निर्माण में संविधान की बड़ी भूमिका रही है जिसने जाति धर्म भाषा लिंग के भेदभाव के बड़े अंतर को कम करने का काम किया है। इसके साथ ही सुधीर कुमार पप्पू ने राष्ट्रपति और सर्वोच्च न्यायालय मुख्य न्यायाधीश को धन्यवाद दिया है कि संविधान दिवस 2023 के मौके पर सर्वोच्च न्यायालय परिसर में बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा स्थापित की है। इसका अनुकरण देश की निचले स्तर की अदालत तक होना चाहिए।

इसकी प्रतिलिपि सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एवं प्रधानमंत्री को भी भेजी गई है। मुख्य न्यायाधीश से आग्रह किया गया है कि यदि 6 महीने तक संघीय सरकार इस संबंध में कोई आदेश पारित नहीं करती है तो वह इसे जनहित याचिका के तौर पर सुनवाई करें।

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