हाता। रानी रासमणि कैवर्त जाति के जमींदार का एक विधवा महिला थी। जिन्होंने ने कलकत्ता में दक्षिणेश्वर में एक भव्य कालीमंदिर बनाई है, माँ का नाम भवतारिणी। उस मंदिर में भगवान रामकृष्ण देव् पुजारी थे।साधना के बल से मा को जागृत किया था और माँ से बातचीत भी करते थे। रामकृष्ण देव के कारण रानी रासमणि का कालीमंदिर महातीर्थ बन गया। रामकृष्ण देव रानी रासमणि के बारे में कहते थे, रानी मा साधारण नारी नहीं है, वह मां जगदंबा की अस्ट सखियों में से एक थी। उन महान नारी का काली मंदिर निर्माण के अलावे और क्या योगदान है वह हम सबकोई नहीं जानते हैं जो बताना जरूरी है।
रानी रासमणि दक्षिणेस्वर काली मंदिर के अलावे बहुत सारे काम की थी जो निम्न प्रकार है : हावड़ा में गंगा नदी पर पुल बनाकर कोलकात्ता शहर बनाया, अंग्रेजों को ना तो नदी पर टैक्स वसूलने दिया और ना ही दुर्गापूजा की यात्रा को रोकने दिया, कोलकात्ता में दक्षिणेश्वर काली मंदिर बनाया, कोलकात्ता में गंगा नदी पर बाबू घाट और निलतला घाट बनवाया, श्रीनगर में शंकराचार्य मंदिर का पुनरद्धार करवाया, मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि की दीवार बनवाई, ढाका में मुस्लिम नवाब से 2000 हिंदुओं की स्वतंत्रता खरीदी, रामेश्वरम से श्रीलंका के मंदिरों के लिए नाव सेवा आरंभ करवाई, कोलकात्ता का क्रिकेट स्टेडियम इनके द्वारा दान दी गई भूमि पर बना है, सुवर्ण रेखा नदी से पूरी तक सड़क बनाई, प्रेसीडेंसी कॉलेज और नेशनल लाइब्रेरी के लिए धन दिया।
क्या इस महान बंगाली महिला का स्थान भारत के इतिहास में है ?भारत के कितने लोग जानते हैं इस बहादुर,विदुषी और विरांगना नारी को?देश में कौन लोगों का इतिहास पढ़ाया जा रहा है सच मुच् आज सोचने का दिन आ गया है।
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