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एक बार फिर लौटा है बसंत, Spring has returned once again,


जमशेदपुर। नगर की साहित्यिक संस्था फुरसत में*कै द्वारा  बसंतोत्सव. निराला जयंती और पुलवामा के शहीदो को नमन करते हुए काव्य सृजन की त्रिवेणी में भावनाओ के पुष्प अर्पण किये गये। आनलाइन काव्य गोष्ठियों की शृखला में एक अध्याय और जुड गया। जब मुंबई से आनंद बाला शर्मा. पुणे से किरण सिनहा और अहमदाबाद से उमा सिंह तथा मथुरा से इंदिरा पाण्डेय भी भी जुड गई। अध्यक्षता वरिष्ठ कवयित्री पद्मा मिश्रा ने तथा संचालन डा मनीला कुमारी और इंदिरा पाण्डेय ने किया..मां सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर.तथा वीणा भारती द्वारा गायी गई सरस्वती वंदना के साथ प्रारंभ गोष्ठी की प्रथम प्रविष्टि के रुप में महाप्राण  निराला को याद किया कवयित्री पद्मा मिश्रा ने*निर्झर बसंत के गान तुम्हीं .गर्वित करतै हो मुक्त छंद!, हे महाप्राण. हे विश्व वंद्य.सुनाकर महाकवि को नमन किया.इसके पश्चात वरिष्ठ कवयित्री रेणुबाला ने ऋतुराज बसंत को समर्पित अपनी रचना पढी *वीणा की मधुर तान से ऋतुराज को नव ज्ञान दो।


पुणे से वरिष्ठ कवयित्री किरण सिन्हा-ने अपनी प्रस्तुति दी मुरझाये सपने सारे .हृदय के तहखाने में .जाने कैसे हुए विहंगम .लगे मधुर गीत गुनगुनाने...अहमदाबाद से वरिष्ठ कवयित्री उमा सिंह ने सस्वर काव्य पाठ कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया.**हम कलम के साधक/बागीश की कृपा से /बदलाव लिख रहे हैं। अगली रचना वरिष्ठ भावप्रवण कवयित्री छाया प्रसाद ने अपनी रचना पढी। धरती करती सोलह शृंगार /गीली धरा /.बरसा है रंग..प्रकृति बन गई रति..जब देखा उसने कामदेव बसंत-वरिष्ठ कोकिल कंठी कवयित्री सुधा अग्रवाल.ने यह रचना सुनाकर सभी को प्रभावित किया।


हायकू कविताओं में प्रवीण संस्था की.संस्थापक अध्यक्ष आनंद बाला शर्मा जी की प्रस्तुति थी -हृदय से पुकारा ./फिर लौटेगा बसंत /मदमाता बसंत. लोकगायिका वीणा पाण्डेय भारती ने मां वाणी को.समर्पित गीत गाकर समां बांध दिया-*कण-कण से प्यार हो मुझे क्षण - क्षण से प्यार हो। सेवा का भाव दिल में जन - जन से प्यार हो वो शक्ति मुझे दो कि मैं साधना करूँ*मथुरा से.श्रीमती इंदिरा पाण्डेय ने *हवा हूं.हवा मैं .बसंती हवा.हूं*सुनाकर पूरे परिवेश को.बासंती रंग दै दिया।

 

भावात्मक अनुभूति परक रचनाओं नें कुशल डा मीनाक्षी कर्ण की प्रस्तुति थी। मखमली फूलों पर ढलते तुहिन कण हो तुम.धरती करती परिहास बसंत..कार्यक्रम को आगे बढाते हुए सचिव कवयित्री डा मनीला कुमारी ने अपनी रचना सुनाकर कोमल भावों का संचार कर दिया। सम का भाव भर दे.भेदभाव से तम हर दे.स्वार्थ बुद्धि का नाश करो मां... गोष्ठी की.समाप्ति पर अपने  अध्यक्षीय उद्बोधन में वरिष्ठ कवयित्री  पद्मा मिश्र ने पुलवामा के शहीदों को नमन करते हुए रचना पढी **शहीद तुम्हारी कुर्बानी. हम याद करेंगे सदियों तक .उन आंखो से.बहते आसूं .हम व्यर्थ नहीं.होने देंगे..हम.युद्ध नही होने देंगे *अत्यन्त भावुक  पलों के बीच गोष्ठी का समापन हुआ। इस अवसर पर डा सरित किशोरी श्रीवास्तव. माधुरी मिश्र. आरती श्रीवास्तव गीता दुबे.अनीता निधि आदि सभी सदस्य उपस्थित थे।

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