चांडिल। मुख्यमंत्री के गृह जिला अंतर्गत चौका थाना क्षेत्र इन दिनों अवैध कारोबार का गढ़ बना हुआ है। एनएच 33 के किनारे गैरकानूनी रूप से छड़, पाईप, सीमेंट, कोयला, लौह अयस्क, स्पंज आयरन समेत कई सामग्रियों की गैरकानूनी कटिंग करने का धंधा हो या मादक पदार्थ व बालू का कारोबार, चौका थाना क्षेत्र इसका हब बन गया है। इसके खिलाफ ग्रामीण अब गोलबंद होने लगे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि भले ही चौका थाना क्षेत्र में बालू का खनन नहीं होता है, लेकिन बालू लदे वाहनों का परिचालन इसी क्षेत्र से होकर किया जाता है। खुलेआम हो रहे गैरकानूनी धंधा देखकर लोग अब कहने लगे कि यहां अब कानून का राज नहीं रहा अवैध कारोबारी का राज है। अगर यहां कानून के रखवाले होते तो ऐसे खुलेआम लोग गैरकानूनी धंधा नहीं कर पाते। बताया जा रहा है कि रात के वक्त जब पुलिस का पहरा अधिक रहता है, पुलिस सक्रियता और सजगता के साथ क्षेत्र की निगरानी करती है, तब अवैध कारोबारों को अधिक अंजाम दिया जाता है।
यहां पर अवैध डीपो का है प्रचुरता : चौका थाना क्षेत्र में प्रमुख सड़कों के किनारे कदम-कदम पर अवैध कारोबार का डीपो मौजूद है। ग्रामीण बताते हैं कि इस डीपों में कानून से बेखौफ होकर गौरखधंधा करने वाले दिन के उजाले में भी अवैध कारोबारों को अंजाम दे रहे हैं। रात के समय तो क्षेत्र में गैरकानूनी कारोबार करने वालों का ही राज रहता है। सूत्रों की माने तो एनएच 33 के किनारे स्थित होटल की आड़ में, जंगल-झाड़ियों के पीछे और बड़े-बड़े चारदीवारी के अंदर अवैध कारोबार संचालित किए जा रहे हैं।
ग्रामीण बताते हैं कि दिन पर दिन गैरकानूनी कारोबार करने वालों की संख्या अमरबेल की तरह बढ़ती जा रही है। इनकी निरंतर बढ़ती संख्या पर क्षेत्र के प्रबुद्ध जन और तथाकथित समाजसेवी कुछ बोलने से कतराते हैं। वहीं वोट बैंक असंतुलन के भय से जनप्रतिनिधि भी इस मामले में चुप्पी साधे रहते हैं। गैरकानूनी कारोबार वैसे क्षेत्र में संचालित किए जा रहे हैं, जहां के सांसद केंद्र के सत्ताधारी और विधायक राज्य के सत्ताधारी दल से हैं।
चांडिल के एसडीपीओ रह चुके डीआईजी : क्षेत्र के थाना प्रभारी से लेकर डीआईजी तक बदले गए हैं। नए थाना प्रभारी, पुलिस निरीक्षक, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी, पुलिस अधीक्षक और डीआईजी की पदस्थापना हुई है। सभी ने योगदान देते हुए विधि-व्यवस्था को दुरुस्त रखने और अपराध व गैरकानूनी धंधों पर लगाम लगाने की बात कही थी। बावजूद इसके क्षेत्र में गौरधंधा बड़े पैमाने पर संचालित किए जा रहे हैं और उनपर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हो रही है। सबसे अहम बात है कि कोल्हान के डीआईजी प्रशिक्षण के दौरान चांडिल के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी रह चुके हैं। उन्हें चांडिल अनुमंडल क्षेत्र की पूरी जानकारी है। बावजूद इसके खुलेआम गैरकानूनी कारोबार संचालित करना किस ओर इशारा कर रहा है। क्या कनीय अधिकारियों को अपने वरीय अधिकारियों का तनिक भी भय नहीं है ?
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