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सारंडा में लोहे के फंदे से वन्य प्राणियों का हो रहा शिकार, In Saranda, wild animals are being hunted with iron traps.


गुवा। सारंडा जंगल में जंगली जानवरों का निरंतर हो रहे शिकार ने वन विभाग की परेशानी बढ़ा दी है। शातिर व विशेषज्ञ शिकारियों की वजह से सारंडा जंगल के वन प्राणियों के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। बीते दिनों गुवा वन विभाग की टीम ने सारंडा के घने जंगल से बहदा गांव निवासी डीबराम उर्फ सुखुआ माझी को एक विशेष प्रकार का लोहे का फंदा के साथ गिरफ्तार कर जेल भेजा है। 





सुखुआ जंगली जानवरों का शिकार करने हेतु इस फंदे को जंगल में लगाया था। वन विभाग सबसे ज्यादा इस बात को लेकर परेशान व हैरान है कि ऐसा विशेष प्रकार का फंदा सारंडा जैसे जंगल में कहां से तथा कैसे आया। इसके पीछे अन्तरराज्जीय गिरोह तो सक्रिय नहीं है, जो सारंडा के ग्रामीणों को लोहे से बना विशेष प्रकार का फंदा उपलब्ध करा जानवरों का शिकार करा रहा है। कुछ दिन पूर्व हीं वन विभाग की टीम ने काशिया-पेचा गांव क्षेत्र के जंगलों से शिकार किया गया जंगली जानवर के साथ तीन लोगों को पकड़ जेल भेजा था। 


सारंडा के विभिन्न जंगलों में शिकार की घटना बढी़ है तथा वन्यप्राणियों की मौजूदगी व विचरण वाले जंगलों में बडे पैमाने पर जाल अथवा फंदा लगाये जाने की बात कही जा रही है। सारंडा डीएफओ अभिरूप सिन्हा ने भी इसकी पुष्टि कर इसे गंभीर मामला बताया है। दूसरी तरफ सारंडा जंगल में 1990 के दशक में हाथियों व अन्य वन्यप्राणियों पर लगभग 5 वर्षों तक निरंतर रिसर्च करने वाले व इसके विशेषज्ञ डा0 राकेश कुमार सिंह ने बताया की जो फंदा वन विभाग ने सुखुआ माझी के पास से बरामद किया है, ऐसा लोहे का फंदा मध्यप्रदेश के शिकारी वहाँ के जंगलों में जानवरों को फंसाने हेतु करते हैं। सारंडा व झारखण्ड के किसी भी जंगल में यहाँ के लोग ऐसे फंदे का इस्तेमाल आज तक नहीं किया। सारंडा व झारखण्ड के शिकारी मोटरसाईकल का एक्सीलेटर, क्लच वायर अथवा तार का फंदा बनाकर अब तक शिकार करते आ रहे हैं। 


ऐसे फंदे की जानकारी यहाँ के लोगों को नहीं थी, लेकिन यह अवश्य गंभीर मामला व चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि निश्चित ही इस तकनीक को मध्यप्रदेश से सारंडा जंगल के गांवों तक पहुंचाने में अंतरराज्जीय गिरोह शामिल होगा। इस मामले की जांच वन विभाग को गंभीरता से करने तथा इस नेटवर्क को ध्वस्त करने की जरुरत है। अन्यथा सारंडा जंगल में जो कुछ बचे तेंदुआ, सांभर, कोटरा, हिरण, जंगली सुअर, खरगोश, साहिल आदि जानवर हैं, उनका भी शिकार ये शिकारी करके सारंडा जंगल को वन्यप्राणियों से विहीन कर देंगे। 





उन्होंने कहा कि किसी भी जंगल की खूबसूरती वहाँ मौजूद बडे़ पैमाने पर विभिन्न प्रकार के वन्यप्राणियों से होता है। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों को रोकने हेतु वनकर्मियों को प्रतिदिन जंगलों में गश्ति बढा़नी होगी, गांव-गांव में अपना सूचना तंत्र बेहतर करना होगा। वन गश्ती तेज होने से अन्य गलत गतिविधियां व तस्करी पर विराम लगेगा।

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