कृत्रिम रंग होली को बदरंग बनाने का काम करते हैं, प्राकृतिक रंग त्वचा और पर्यावरण दोनों के लिए सही है
चक्रधरपुर। रोटरी क्लब चाईबासा के तत्वावधान में राजेश्वरि देवी रूंगटा रोटरी सहेली सेंटर में सोमवार को होली के उपलक्ष्य में ऑर्गेनिक कलर बनाने की एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। उपरोक्त जानकारी देते हुए क्लब की अध्यक्षा हीना ठक्कर ने सहेली सेंटर की महिलाओं को होली की अग्रिम शुभकामनाएं देते हुए कहा, कि इस त्यौहार में रंगों की विशेष भूमिका होती है।
कृत्रिम रंग होली को बदरंग बनाने का काम करते हैं। यह बड़ी विडंबना है कि आजकल होली खेलने के लिए प्रयोग में लाए जाने वाले रंग कृत्रिम होते हैं, जिनका हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों पर घातक प्रभाव पड़ता है। रोटरी सहेली सेन्टर की संचालिका रोटेरियन कविता शर्मा ने कहा कि प्रकृति की गोद से लिए गए रंगों की फुहार से ही होली की पहचान है, क्योंकि प्राकृतिक रंग त्वचा और पर्यावरण दोनों के लिए सही है।
इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए घर पर उपलब्ध वस्तुओं जैसे, गेंदा, गुड़हल, चुकंदर पालक, धनियां, हल्दी ,पलाश ,पुदीना इत्यादि वस्तुओं से महिलाओं को प्राकृतिक रंग बनाने का प्रशिक्षण मनीष अग्रवाल एवं चंचल सराफ एवं कविता शर्मा द्वारा दिया गया। तथा होली के अवसर पर उन्हें शुभेच्छा के तौर पर प्राकृतिक वस्तुओं से बने रंग वितरित किए गए और वहां होली का त्योहार अग्रिम तौर पर मनाया गया और उन्हें प्राकृतिक रंगों से होली खेलने के लिए प्रेरित भी किया गया।
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