चांडिल। भूमिज विद्रोह के महानायक सह जंगल महल के प्रथम क्रांतिवीर वीर शहीद गंगानारायण सिंह को उनके जनस्थान सरायकेला खरसावां जिला अंतर्गत नीमडीह प्रखंड के बांधडीह गांव में देहाभक्तों ने जन्मदिन पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए नमन किया। इस दौरान आजसू पार्टी के केंद्रीय महासचिव हरेलाल महतो अपने समर्थकों के साथ क्रांतिवीर गंगानारायण सिंह के प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।
इस अवसर पर हरेलाल महतो ने कहा कि अंग्रेजी जुल्म से त्रस्त क्रांतिवीर गंगानारायण सिंह ने 1832 ई0 जनवरी माह से अंग्रेजों के विरुद्ध संग्राम का विगुल फूंका था। गंगानारायण सिंह ने भूमिज संग्रामियों को गुरिल्ला युद्ध नीति का विशेष प्रशिक्षण दिया। 12 मई 1832 की रात ब्रिटिश सेनापति रासेल की सेनावाहिनी के उपर संग्रामियों ने हमला कर दिया। 13 मई को बराबाजर में अंग्रेज समर्थकों के घर में आग लगाकर आतंक का वातावरण बना दिया। भूमिज सेना के डर से मेदनीपुर के कमिश्नर डी0 ओइली ने अपनी सीमा की सुरक्षा के लिए कोलकाता हाईकमान से सामरिक वाहिनी का मांग की। इसके बांग्लादेश के फिरंगी सरकार ने बैरकपुर छावनी से कर्नल कपूर के नेतृत्व व रासेल के दिशानिर्देश में जंगल महल में विशाल अंग्रेज सैन्यदल तैनात किया।
2 जून को मार्टिन ने सभी सैन्यवाहिनी के साथ बांधडीह गांव में गंगनारायन को घेरने का अभियान शुरू किया। 60 भूमिज विद्रोही ने शीतल घटवाल के नेतृत्व में अंग्रेजी सेना के उपर जोरदार हमला किया। भयभीत होकर मार्टिन ने गंगनारायन से वार्ता का प्रस्ताव भेजा। परंतु गंगा सेना के राष्ट्रभक्त विद्रोहियों ने वार्ता के लिए तैयार नहीं हुए और जंग जारी रखा। इस जंग में 19 अंग्रेजी फौज को मार गिराया गया। विद्रोहियों के उग्र रूप देखकर मार्टिन के सेना इस क्षेत्र से भाग गया। 25 जून को 500 विद्रोहियों के साथ तुलसी दिगार ने पातकुम थाना में हमला किया। निम्न मानसिकता रखने वाले अंग्रेजों ने माटी के सम्मान के लिए की गई इस संग्राम को ''चूहाड़ विद्रोह'' का संज्ञा भी दी है। उन्होंने कहा कि क्रांतिवीर गंगानारायण के देशभक्ति की राह पर हमें चलने की आवश्यकता है। इस अवसर पर कंचन सिंह, अजय सिंह, ग्राम प्रधान मंत्री भानु सिंह सरदार, लक्ष्मीकांत महतो, समानपुर पंचायत अध्यक्ष हरि नारायण सिंह, आस्तिक दास बाबलु महतो, शक्ति महतो आदि मौजूद थे।
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