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आवासीय विद्यालय में थोलकोबाद के बच्चों का नहीं हो रहा नामांकन, Children of Tholkobad are not being enrolled in residential schools.


गुवा। सारंडा जंगल स्थित थोलकोबाद गांव कभी नक्सलियों की राजधानी थी। इस गांव के नाम पर अनुसूचित जनजाति आवासीय विद्यालय थोलकोबाद, कैम्प मनोहरपुर खोला गया है, लेकिन विडंबना है कि इस गांव के बच्चों का ही नामांकन उक्त विद्यालय में नहीं हो रहा है। 




इस कारण थोलकोबाद और आस-पास के गांवों में सरकार और शिक्षा विभाग के प्रति ग्रामीणों में आक्रोश है। उल्लेखनीय है कि दशकों पूर्व जब झारखंड अलग राज्य भी नहीं बना था, तब से बिहार सरकार ने सारंडा के सुदूरवर्ती गांव थोलकोबाद में उक्त स्कूल का निर्माण किया था। आवासीय स्कूल का निर्माण का मुख्य उद्देश्य इस क्षेत्र के गरीब आदिवासियों के बच्चों को यहां रख कर प्रारम्भिक शिक्षा देना था। तब इस क्षेत्र में कोई स्कूल व आवागमन की सुविधा नहीं थी। 


थोलकोबाद सिर्फ ब्रिटिश सरकार द्वारा बनाया गया एक ऐतिहासिक गेस्ट हाउस था। यहां आकर ठहरने वाले बाहरी पर्यटक व अधिकारियों के नाम से प्रचलित था। वर्ष 2005 से पूर्व थोलकोबाद स्थित अनुसूचित जनजाति आवासीय कैम्प विद्यालय में लगभग 85 बच्चे पढ़ते थे। बच्चे व उनके परिवार खुशहाल थे। वर्ष 2001 में सारंडा में नक्सलियों का आगमन एवं उनके द्वारा थोलकोबाद को अपना मुख्यालय बनाने के बाद से ही मानो इस गांव समेत पूरे सारंडा जंगल को किसी की नजर लग गई। 


इसके बाद पुलिस व नक्सलियों के बीच सह-मात का खेल प्रारम्भ हुआ। दर्जनों जवान शहीद हुए। सभी तरफ नक्सलियों का खौफ कायम था। पुलिस नक्सलियों की खोज में जाती तो थोलकोबाद के इस विद्यालय में ही अपना आशियाना बनाती और वापस लौट आती। इससे नाराज नक्सलियों ने वर्ष 2005 में थोलकोबाद के ग्रामीणों को इकठ्ठा कर आवासीय विद्यालय के सारे बच्चों व शिक्षकों को बाहर निकाल दिया। इसके बाद बच्चों के सामने ही आइइडी लगाकर पूरे स्कूल भवन को उड़ा दिया। स्कूल उड़ने के साथ ही बच्चों की शिक्षा, सपने व भविष्य अंधकारमय हो गया। कई वर्षों तक बच्चे अपने-अपने घर मे रहे, लेकिन बाद में इस स्कूल को मनोहरपुर में स्थानान्तरित कर अनुसूचित जनजाति आवासीय विद्यालय, थोलकोबाद, कैम्प मनोहरपुर से संचालित कर नामांकित सारे बच्चों को वहां ले जाया गया। 




थोलकोबाद निवासी बिमल होनहागा, गुमिदा होनहागा व अन्य ग्रामीणों ने बताया कि आज हालात यह है कि हमारे गांव के नाम से उक्त आवासीय विद्यालय है, लेकिन थोलकोबाद एवं आसपास के गांवों के बच्चों का उसमें नामांकन नहीं हो रहा है। गांव के कई बच्चों का नामांकन इस स्कूल में कराना था, लेकिन स्कूल प्रबंधन ने नामांकन प्रारम्भ होने संबंधी कोई जानकारी नहीं दी। बाद में पता करने पर बताया कि इस स्कूल में नामांकन की प्रक्रिया खत्म हो चुकी है। स्कूल में अब सीट खाली नहीं है। ऐसे में हमारे गांव के गरीब बच्चे कहां जायें। 


ग्रामीणों ने सरकार व शिक्षा विभाग से मांग की है कि इस स्कूल को पहले की तरह हमारे गांव थोलकोबाद में लाया जाये। गांव में नया स्कूल भवन व छात्र-छात्राओं के लिये अलग-अलग सीटों की संख्या बढ़ाकर पढ़ाई की बेहतर सुविधा प्रदान की जाये, क्योंकि अब गांव में नक्सल समस्या नहीं है। नामांकन से जुड़े मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषी पर कार्यवाही हो। ग्रामीणों ने कहा कि हम सभी नाला का पानी पीते हैं। कुछ दिन बाद एक सप्ताह पूर्व विभागीय अधिकारी आये एवं दो जलमीनार स्थापित करने की बात कह चले गये, लेकिन आज तक इस दिशा में कार्य प्रारम्भ नहीं हो सका।



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