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आपदा प्रबंधन की बैठक में छाया रहा हाथी व प्रदूषण का मामला, The issue of elephants and pollution dominated the disaster management meeting.


जमशेदपुर। अनुमंडल कार्यालय में ईचागढ़ की विधायक सविता महतो की अध्यक्षता में अनुमंडल स्तरीय आपदा प्रबंधन की बैठक हुई। मौके पर आने वाले मानसून के दौरान चांडिल डैम का जलस्तर बढ़ने के कारण होने वाली समस्या और उससे निपटने को लेकर चर्चा की गई। इसके लिए सभी संबंधित विभागों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए। इस दौरान एसडीओ शुभ्रा रानी ने बाढ़ जैसी स्थिति में होने वाली समस्याओं से निपटने के लिए सभी अधिकारियों को अलर्ट रहने का निर्देश दिया।



उन्होंने कहा कि बाढ़ में फंसने वाले लोगों को बाहर निकालने के लिए चांडिल बांध मत्स्यजीवी स्वावलंबी सहकारी समिति के प्रशिक्षित गोताखोरों की मदद ली जाएगी। इसके लिए समिति के अध्यक्ष से गोताखोरों की सूची मांगी गई है. इसके अलावा बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को भोजन व पानी की व्यवस्था करने को लेकर तैयारी करने का निर्देश दिया गया है। 


बैठक में सांसद प्रतिनिधि के रूप में उपस्थित जिला परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष देवाशीष राय ने कहा कि डैम का जलस्तर 179 मीटर तक ही रखा जाए। अचानक भारी बारिश होने पर एकाएक डैम का जलस्तर बढ़ने लगता है। इस स्थिति में डैम का फाटक खोलने के बावजूद जलस्तर कम होने में समय लगता है। ऐसे में डूब क्षेत्र के गांव जलमग्न हो जाते हैं और विस्थापितों के घरों में डैम का पानी घुस जाता है। यदि डैम में 179 मीटर जलस्तर रखा जाता है तो एक – दो मीटर जलस्तर बढ़ने पर भी स्थिति को नियंत्रण में किया जा सकता है।


वहीं उन्होंने बाढ़ के अलावा क्षेत्र में फैल रही विनाशकारी प्रदूषण और जंगली हाथियों द्वारा किए जा रहे उत्पात से हो रहे नुकसान काे भी आपदा मानते हुए इनके निदान को लेकर भी मास्टर प्लान बनाने की मांग की। मौके पर प्रदूषण और हाथी की समस्या छाया रहा. बैठक में उपस्थित आपदा प्रबंधन की बैठक में निर्णय लिए जाने के बाद भी हर वर्ष डैम का पानी गांव और विस्थापितों के घरों में घुसने के मामले को प्रमुखता के साथ उठाया गया।


बैठक में देवाशीष राय ने कहा कि विस्थापित परिवारों को उठाकर जिन पुनर्वास स्थलों पर बसाया जा रहा है, वहां रोजगार के साधन नहीं हैं। चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं है। बच्चों को उच्च शिक्षा नहीं मिल रही है, जबकि, पुनर्वास नीति के अनुसार तमाम सुविधा उपलब्ध कराने की बात कही गई है। उन्होंने कहा कि परियोजना की जमीन पर बने पॉलिटेक्निक कॉलेज और आईटीआई में विस्थापित परिवार के विद्यार्थियों के लिए कोई विशेष छूट और प्राथमिकता नहीं दी जाती है।


मौके पर चांडिल बांध विस्थापित मत्स्यजीवी स्वावलंबी सहकारी समिति लिमिटेड चांडिल के अध्यक्ष व सचिव ने कहा कि बाढ़ के दौरान उनके गोताखोरों का सहयोग लिया जाता है, लेकिन काम खत्म होने के बाद उन्हें भुला दिया जाता है. बैठक में जिला परिषद की उपाध्यक्ष मधुश्री महतो, चांडिल की जिला परिषद सदस्य, सुवर्णरेखा बहुउद्देश्यीय परियोजना के कार्यपालक अभियंता, पुनर्वास पदाधिकारी, सभी थाना प्रभारी, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, चांडिल बांध मत्स्यजीवी स्वावलंबी सहकारी समिति के अध्यक्ष नारायण गोप व सचिव श्यामल मार्डी आदि उपस्थित थे।



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