सभी ने कहा कि हम सारंडा वासियों के लिये यह दुर्भाग्य की बात है कि हमारे घर में सेल जैसे महारत्न कंपनी की गुवा, किरीबुरु, मेघाहातुबुरु, चिड़िया जैसे खदानों के अलावे टाटा स्टील की खदान है। इसके बावजूद हमारे गांवों के बेरोजगार युवकों को चतुर्थ श्रेणी तक की नौकरी नहीं मिल पा रही है। इन खदानों से बहकर आने वाली लाल पानी व मिट्टी से सिर्फ हमारी कृषि भूमि बंजर हो रही है, नदी-नाला व पर्यावरण प्रदूषित होकर तर तरह बीमारियाँ मिल रही है।
इन खदानों के रहने से हम ग्रामीणों को कोई फायदा नहीं है। ऐसी स्थिति में हम मानकी-मुंडा व ग्रामीण संयुक्त यूनियन के आंदोलन का पूरा समर्थन करते हैं। मानकी ने कहा कि जिस दिन से खदान में आर्थिक नाकेबंदी प्रारम्भ होगा, उस दिन से हम ग्रामीण भी बडे़ पैमाने पर आर्थिक नाकेबंदी आंदोलन में बढ़ चढ़कर शामिल होंगे। सेल व टाटा स्टील खदान प्रबंधन खदान से प्रभावित गांवों के बेरोजगारों को शत फीसदी नौकरी दें। कमसे कम चतुर्थ व तृतीय श्रेणी की बहाली में सारंडा के बेरोजगारों को हीं शत फीसदी प्राथमिकता दे।
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