Guwa (Sandeep Gupta) । टाटा स्टील की विजय-टू लौह अयस्क खदान में 23 दिसम्बर की सुबह 5 बजे से झारखण्ड मजदूर यूनियन द्वारा जारी आर्थिक नाकेबंदी आज 27 दिसम्बर को निरंतर पांचवें दिन भी जारी है। इस खदान के सैकड़ों मजदूरों ने अपनी 14 सूत्री मांगों को लेकर अनिश्चितकालिन आर्थिक नाकेबंदी करते हुये खदान का उत्पादन व माल ढुलाई को पूरी तरह से ठप किये हुये है। टाटा स्टील प्रबंधन भी कर रहे अनिश्चितकालीन आर्थिक नाकाबंदी को लेकर मजदूरों का सूद भी नहीं ले रहे हैं। इससे मजदूरों में और भी आक्रोश बढ़ता जा रहा है। उन्होंने बहुत जल्द भूख हड़ताल भी करने के लिए रणनीति बना रहे हैं।
इस आंदोलन के बीच 24 दिसम्बर को जगन्नाथपुर एसडीओ महेंदर सिंह छोटन भी टाटा स्टील की विजय-टू खदान में पहुंच आंदोलनकारी मजदूरों की स्थिति को जानने व समझने का काम किया। इस दौरान पुलिस के अधिकारी भी मौजूद थे। एसडीओ ने झारखण्ड मजदूर यूनियन के अध्यक्ष दिनबंधु पात्रो से बात कर आंदोलन को शांतिपूर्ण चलाने का आग्रह किया। उन्होंने मजदूरों से कहा कि हम आपकी समस्या को देखने आये हैं, लेकिन आपकी जो मांगे है उसपर कोई आश्वासन नहीं दे सकते हैं। आपकी मांगों व स्थिति की जानकारी सक्षम उच्च अधिकारियों को देने का कार्य करेंगे।
झारखण्ड मजदूर यूनियन के अध्यक्ष दिनबंधु पात्रों ने कहा कि हम मजदूर परिवार व बच्चों के साथ इस कड़ाके की ठंड में पांच दिनों से जंगल में भूखे, प्यासे कैसे आंदोलनरत हैं, उन्हें हमारी समस्याओं पर बात करनी चाहिये थी लेकिन वह माहौल को खराब करने की कोशिश करने का कार्य कर रहे। अगर प्रबंधन का यही हाल रहा तो हम सभी मजदूर भूख हड़ताल करने कि रणनीति बना रहे हैं, और जल्द ही भूख हड़ताल पर बैठेंगे। दिनबंधु पात्रों ने कहा कि हम कंपनी प्रबंधन को तमाम आवश्यक सेवा उपलब्ध कराने दे रहे हैं। जैसे की खदान का डीजी हेतु डीजल, एम्बुलेंस, पेयजल, सुरक्षा गार्डों के लिये भोजन आदि, लेकिन कंपनी प्रबंधन ने मानवता की खातिर आंदोलन स्थल के लिये अपने डीजी से लाईट जलाने हेतु कनेक्शन तक नहीं दी है।
जंगल में विषैला जानवर का भी खतरा रहता है। उन्होंने कहा कि हम कड़ाके की ठंड में आग जलाकर तथा जमीन पर रात के समय जैसे-तैसे सो रहे हैं। लेकिन कंपनी प्रबंधन याद रखे की वह जितना परेशान करेगी हम उतना मजबूत होंगे और आंदोलन को एक अंजाम तक पहुंचायेंगे। क्योंकि हम आदिवासी जल, जंगल, जमीन के बीच हीं रहकर विकट परिस्थिति में रहने के आदि हैं। दिनबंधु ने कहा कि हमें तकलीफ है कि टाटा स्टील प्रबंधन की गलतियों की वजह से हमारी पुलिस भी रात-दिन हमारी सुरक्षा को लेकर इस घने जंगल में परेशान है। वह हमेशा हमारी सुध लेती रहती है। हम मजदूर पुलिस के आभारी हैं। कंपनी प्रबंधन हम मजदूरों व पुलिस-प्रशासन की सुरक्षा के साथ भी खिलवाड़ कर रही है। उन्होंने कहा कि अभी हमारे मजदूर नेताओं में महासचिव दुलाल चाम्पिया, उपाध्यक्ष परमेश्वर बुरमा, मधु सिधु आदि दर्जनों मजदूर नेता यहाँ मौजूद हैं।
झारखण्ड मजदूर यूनियन ने जो मांगे प्रबंधन पास रखी है उसमे 100 स्थानीय ग्रामीण बेरोजगार युवाओं को स्थायी रोजगार देना, लंबे समय से कार्यरत स्थानीय मजदूरों का स्थायीकरण करना, मजदूरों को मेडिकल जांच में अनफिट पाये जाने पर कम्पनी-वेंडर द्वारा ईलाज कराके दुबारा काम पर रखना, कम्पनी एवं ठेकादार के अधिन कार्यरत मजदूरों को ई.एस.आई चिकित्सा सुविधा का लाभ देना, सभी ठेका मजदूरों को योग्यतानुसार सही वेतन देना, सभी ठेका मजदूरों को 20 प्रतिशत बोनस एवं डस्ट एलाउंस एक समान मिलना चाहिए, मजदूर की मृत्यु हो जाने पर उसका बेटा या पत्नी को नौकरी देना, कार्यस्थल में दुर्घटना होने पर मेडिकल सुविधा एवं वेतन भुगतान जारी रखना, मजदूर का मृत्यु या सेवानिवृत्त होने पर उनको उचित राशि देना, ठेका मजदूरों को नियुक्ति पत्र देना, कम्पनी और ठेका मजदूरों के लिए कैन्टीन की सुविधा, जब भी ठेकेदार बदली होता है तो 45 से 90 दिन के अन्दर फूल एवं फाइनल राशि का भुगतान होना, 5 साल काम करने पर ग्रेच्युटी मिलना, यदि मजदूर अपने कार्यकाल में गंभीर बिमारी से ग्रसित होता है तो उसके घरवालों को नौकरी देना आदि मांगे शामिल है।
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