Upgrade Jharkhand News. दिल्ली की नवनिर्वाचित मुख्य मंत्री रेखा गुप्ता की प्रेस कांफ्रेंस से स्कूली दिनों की याद ताजा हो गई। जैसे ही हम पुरानी क्लास से नयी क्लास में जाते तो नयी क्लास के टीचर कहते पिछली क्लास में क्या पढ़ कर आए हो ? और अगले साल फिर यही क्रम दोहराया जाता। नयी क्लास में फिर टीचर पूछते पिछली क्लास में क्या पढ़ कर आए हो ? यही हाल सरकारों का है जब भी कोई नयी सरकार बनती है आते ही पिछली सरकार पर पहला सीधा हमला, " पिछली सरकार खजाना खाली कर के गयी है ।" पिछली क्लास में क्या पढ़ कर आए हो की तरह यह वाक्य बार-बार दोहराया जाता है चाहे सरकार जिस की भी बने। ढेर सारे वादे और योजनाएं पुरानी आप सरकार की हैं । बहुत से वादे भाजपा भी कर के आई है कि पिछली सभी योजनाओं के साथ-साथ उसके दावों का अतिरिक्त लाभ दिल्ली की जनता को मिलेगा । इतना ही नहीं इस बार स्वयं मोदी की भी गारंटी है।
अब अगली बात यह कि दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी ने भी मुख्यमंत्री के कार्यालय में लगी बाबा साहब अंबेडकर और भगत सिंह की फोटो हटाने का आरोप लगाया। जिस पर स्पष्टीकरण यह आया कि हटाई नहीं बल्कि स्थान बदला गया है। चलो इसी बहाने से जनता को पता तो चला कि बाबा साहब भीम राव अंबेडकर और भगत सिंह का इनके दिलों में कितना और कहां स्थान है ? या फिर बाबा साहब और भगत सिंह के नाम का उपयोग मात्र उनके अनुयायियों को भ्रमित करने के लिए प्रयोग किया जाता है ? इस मामले में आम आदमी पार्टी भी कोई दूध की धुली हुई नहीं है । इनका भी बाबा साहब, भगत सिंह और दलित प्रेम दिखावा मात्र ही था, क्योंकि यह वही पार्टी है जिसने बाबा साहब की 22 प्रतिज्ञाएं लेने पर अपने ही मंत्री राजेंद्र पाल गौतम से इस्तीफा ले लिया था। केजरीवाल करेंसी नोटों पर किसी विशेष देवी-देवता का चित्र प्रकाशित करने के हिमायती थे। खुद को हनुमान भक्त साबित करते थे। बुजुर्गों को तीर्थ यात्राएं करवाते थे। इतने अधिक धार्मिक लोग बाबा साहब और भगत सिंह के अनुयाई कैसे हो सकते हैं ?
खैर नयी सरकार को आते ही नया कुछ करना ही पड़ता है चाहे फोटो लगाई जाएं या हटाई जाएं। अपनी-अपनी सुविधा, आस्था और विश्वास का मामला है। जनता को इससे क्या सरोकर ! दिल्ली चुनाव प्रचार की एक बात अच्छी लगी कि इसमें बंटोगे तो कटोगे का नारा नहीं दिया गया । समझदार दिल्ली की जनता ने भाजपा के सर पर ताज रखा है। बस नयी सरकार जनता की आशाओं, अपेक्षाओं पर खरी उतरे, यही कामना की जानी चाहिए। जोगिंदर पाल जिंदर
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