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Bhopal. अंत्योदय से निकलता विकसित भारत का रास्ता , The path to developed India emerges from Antyodaya.


Upgrade Jharkhand News.  आमतौर पर सभी देशों में बजट को आंकडों की बाजीगरी माना जाता है लेकिन हमारे देश में वर्ष 2013-14 के 16,65,297 करोड़ रुपए के बजट से वर्ष 2024-25 में 50,65,345 करोड़  रुपए के बजट तक की यात्रा कोई आंकड़ों का खेल नहीं है। इसके पीछे के मर्म को समझाना पड़ेगा तभी  बजट के साथ न्याय होगा । 2014 के चुनाव में मोदी जी ने सार्वजनिक सभाओं में मतदाताओं से वायदा किया था,  एक-एक मतदाता को अपने कार्यकाल का हिसाब दूंगा। एक-एक वोट का ऋण उतारूंगा । मोदी  की गारंटी, गारंटी पूरा होने की गारंटी है। मोदी के काम करने का रास्ता अंत्योदय से विकसित भारत की तरफ जाता है। मोदी जी के दिल में वर्षों से उपेक्षित, शोषित, पीड़ित  वर्ग और घरों में कैद देश की आधी आबादी के लिए दर्द उन्हें मजबूर करता है कि विकसित भारत का रास्ता अंत्योदय से निकाला जाए, इस बात को स्वयं मोदी जी सार्वजनिक मंचों से कह चुके हैं कि - जिन्हें कोई नहीं पूछता मोदी उन्हें पूछता है-और पूजता भी है। 



प्रधानमंत्री ही संगठन व सरकार के नेता होते हैं। संगठन की अपनी प्राथमिकताएं और उद्देश्य होते हैं। संगठन की अपनी विचारधारा होती है। जिसके बल पर संगठन का निर्माण होता है। इसी प्रकार सरकार की अपनी प्राथमिकताएं, उद्देश्य व लक्ष्य होते हैं और प्रधानमंत्री  को सामंजस्य बनाकर धैर्य पूर्वक लक्ष्य की तरफ अग्रसर होना पड़ता है। प्रधानमंत्री के पूरे कार्यकाल का, गुजरात के मुख्यमंत्री पद से आज तक का अगर विश्लेषण किया जाए तो साफ- साफ समझ में आता है कि गरीबों, शोषित व महिलाओं के लिए जो दर्द है वही शासन की नीतियों का केंद्र बिंदु है,  इसमें कोई जातिवाद,  क्षेत्रवाद,  भाषावाद हावी नहीं हो पता है। तभी तो प्रधानमंत्री कहते भी हैं तुष्टीकरण नहीं पूर्ण संतुष्टीकरण। पहले विश्व में तीसरे नंबर की अर्थव्यवस्था, 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था, फिर विकसित भारत। यह सारी चुनौतियां प्रधानमंत्री  ने स्वयं ही स्वयं के लिए खड़ी की हैं । भारत के इतिहास में शायद मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं , जो स्वयं लक्ष्य निर्धारित कर अपने लिए चुनौतियां खड़ी करते हैं और फिर लक्ष्य को निश्चित समय अवधि में हासिल करने के लिए रात - दिन एक कर देते हैं। 



मोदी जी को मालूम है वह भारत के लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री क्यों बनाए गए हैं ? देश की जनता को भरोसा है कि मोदी  ही भारत को विकसित भारत बना सकते हैं। मोदी  ही आज की युवा पीढ़ी को उन्नत, सुरक्षित, समृद्ध भारत प्रदान कर सकते हैं। राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, वैश्विक परिदृश्य कुछ भी हो, हर हाल में मोदी  को जनता का भरोसा कायम रखना है। मोदी नारे, वादों या लंबे-लंबे भाषणों से सरकार नहीं चलाते, मोदी जी धरातल पर काम करके दिखाते हैं। तभी तो एक दशक की केंद्र सरकार में मुखिया बनने के बाद 17.92 करोड़ नौकरियां पैदा की। आज महिला श्रम बल (एलएफपीआर)  की भागीदारी दर 23.3 से बढ़कर 37 प्रतिशत पर आ गई है। 89.8 लाख लखपति दीदियों और स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं, जिसमें मुख्यतः ग्रामीण महिलाएं हैं, उनको प्रतिवर्ष कम से कम एक लाख रुपये की घरेलू आय प्राप्त करने हेतु सक्षम बनाया गया है।



वर्ष 2013 के 452 स्टार्टअप्स को 2024 में 1.59 लाख मान्यता प्राप्त स्टार्टअप से 17.22 लाख नौकरियां पैदा करने में सफलता पाई है। बुनियादी ढांचे को विश्व स्तरीय बनाने में खर्च होने वाले प्रत्येक एक करोड़ की धनराशि पर 200 से 250 मानव वर्ष का रोजगार उत्पन्न किया गया है। यूपीए सरकार की नीति थी, उधार का घी पियो। जिसके परिणाम स्वरुप चालू खाता घाटा और  मुद्रास्फीति 9.3 प्रतिशत बढ़ गई थी, दूसरी तरफ मोदी सरकार में कोरोना महामारी, रूस यूक्रेन युद्ध के बावजूद देश की जीडीपी वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत अनुमानित है, जो विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्था में शीर्ष पर है। 2013-14 में 2.2 बिलियन डिजिटल लेनदेन, 2024 में 208.5 बिलियन डिजिटल लेनदेन समावेशी आर्थिक विकास को दर्शाता है। (पीएमजेडीवाई) प्रधानमंत्री जन धन योजना के सहयोग से 500 मिलियन बैंक खाते खोलना समावेशी आर्थिक विकास का सबूत है। यह मोदी  के (जे ए एम) जनधन, आधार, मोबाइल नेटवर्क ही है जिसके कारण कोविड-19 में, 24 मार्च 2020 से 17 अप्रैल 2020 में, 24 दिन की समय अवधि में 11.42 करोड़ लाभार्थियों को 27442.08 करोड़ रुपए का सीधे खाते में सहायता राशि पहुंचना, बिना किसी लीकेज के संभव हो पाया, ना कोई बिचौलिया, ना कोई कट, ना कोई कमीशन, ना शहरी- ग्रामीण का अंतर, ना कोई जाति, धर्म, भाषा का भेदभाव, कोई तुष्टीकरण नहीं - पूर्ण संतुष्टीकरण।



 2014-15 से 2022-23 के बीच में आठ वित्तीय वर्षों की समय अवधि में 24.82 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर लाया गया। इस जादुई फिगर की गंभीरता कितनी है, इसका इसी बात से अंदाज लगाया जा सकता है कि यह संख्या कई देशों की कुल जनसंख्या से भी अधिक है। यह चमत्कार से कम नहीं और यह चमत्कार सिर्फ मोदी ही कर सकते हैं , फर्क साफ है यूपीए सरकार खराब ऋणों में एनपीए संकट का मकड़ जाल फैलाकर व्यवसाय व वित्तीय संस्थानों को पंगु बनाने में माहिर थी। हाई प्रोफाइल डिफॉल्टर यूपीए युग की देन थी। अत्यंत गरीब ऊपर आए, नियो मिडिल क्लास , जिसका उल्लेख 10 जुलाई 2014 के बजट भाषण में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संसद में किया था, जिसका तात्पर्य था- वे गरीब लोग जिन्हें गरीबी रेखा से ऊपर लाया गया है पर मध्यम वर्ग में उन्हें स्थायित्व प्राप्त करना है, के स्थायित्व प्राप्त करने में सहायता व संरक्षण दिया गया, जिसके फलस्वरुप 5 से 10 लाख रुपए प्रतिवर्ष की आय सीमा के लोगों में 8.1प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, व 10 से 20 लाख रुपए प्रति वर्ष आय सीमा के लोगों की 3.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।



एमपीसीई (मंथली पर कैपिटा एक्सपेंडिचर या मासिक प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय) 2011- 12 में शहरी व ग्रामीण में अंतर 84 प्रतिशत था जो 2023- 24 में 70 प्रतिशत हो गया है। स्पष्ट है मोदी सरकार में ग्रामीण- शहरी विभाजन घट रहा है। एक देश- एक कर, जीएसटी लागू होने के बाद घरेलू सामानों की कीमत में आई कमी का घरेलू बचत पर असर स्पष्ट रूप से दिखाई देता है, जिसके परिणाम स्वरुप घरेलू बचत में लगभग चार प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, वित्तीय वर्ष 2014 में 3.5 लाख रुपए से कम आय वाले 36.3 प्रतिशत व्यक्तिगत आयकर दाता उच्च आय वर्ग में चले गए हैं। जिनमें से 15.3 प्रतिशत, 3.5 से 5 लाख व 5 से 10 लाख रुपए वार्षिक आय वर्ग समूह में चले गए हैं और 4.2 प्रतिशत आयकर दाता 10 से 20 लाख रुपए वार्षिक आय वर्ग समूह में चले गए हैं । यही है मोदी  के अंत्योदय की ताकत। यही है पंडित दीनदयाल जी के अंत्योदय की ताकत। भाजपा व कांग्रेस की सोच में ही बुनियादी फर्क है। 1996 में जब  श्री अटल बिहारी वाजपेयी  के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी थी, तब एनपीए 16 प्रतिशत था, 2004 में जब  वाजपेयी जी ने सत्ता छोड़ी तो एनपीए घटकर 7.8 प्रतिशत पर आ गया अर्थात एनडीए सरकार में एनपीए में 8.2  प्रतिशत की कमी आई। फिर 2004 से 2013 तक रही यूपीए सरकार के राजनीतिक हस्तक्षेपों के कारण जी.एन.पी.ए. ( स्टेंड्स फार ग्रास नॉन परफार्मिंग एसेट्स) अनुपात  12.3 प्रतिशत तक पहुंच गया फिर मोदी सरकार के कड़े वित्तीय अनुशासन के कारण वित्तीय वर्ष वर्ष 2024 में जीएनपीए अनुपात और शुद्ध एनपीए अनुपात क्रमशः 2.8 प्रतिशत और 0.6 प्रतिशत के बहु-वर्ष के निचले स्तर पर दर्ज किया गया, स्पष्ट है लूट खसोट बंद कर गरीबों को ऊपर लाने का सघन प्रयास कर मतदाताओं का भरोसा और मजबूत किया गया।



मोदी जी को मालूम है देश के गरीबों को हर स्तर पर प्रधानमंत्री का सहयोग व संरक्षण ही देश को आगे ले जा सकता है। इसलिए सामाजिक सुरक्षा व कल्याण योजनाओं का लगातार विस्तार किया जा रहा है।  प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना एवं  प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के द्वारा गरीबों को ₹ 2 लाख तक का जोखिम कवरेज किफायती प्रीमियम पर प्रदान किया जा रहा है।आयुष्मान भारत जन आरोग्य योजना प्रतिवर्ष प्रति परिवार को वार्षिक स्वास्थ्य कवरेज प्रदान करती है।  पीएमश्रमयोगी मान-धन योजना के माध्यम से 60 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के पात्र असंगठित श्रमिकों को ₹3000 मासिक पेंशन, वृद्धावस्था संरक्षण, 50 प्रतिशत सरकारी योगदान के साथ सुनिश्चित करता है। बुनियादी ढांचे और गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों के लिए ग्रामीण विकास व्यय जो वित्तीय वर्ष 2013-14 में 80250.50 करोड़ रुपए का था, मोदी सरकार में 2024-25 वित्तीय वर्ष के लिए ग्रामीण विकास व्यय 180223.43 करोड़ रुपए का रखा है। स्पष्ट है ग्रामीण विकास व्यय में एक लाख करोड़ रुपए की वृद्धि से बुनियादी ढांचे और गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों को प्रगति मिलेगी। गरीबों के जीवन स्तर में सुधार आएगा।



स्वास्थ्य व परिवार कल्याण निधि में 2.4 गुना वृद्धि करके अब यह निधि 90658.63 करोड़ रुपए की करी गई है । स्पष्ट है गरीबों के लिए स्वास्थ्य सेवा की पहुंच को विस्तार दिया गया है तथा बुनियादी ढांचे को और मजबूत किया गया है। यह मोदी सरकार ही है जिसने समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों  (ईडब्ल्यूएस ) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की है। मोदी जी ने ही 102 वें संविधान संशोधन अधिनियम के माध्यम से राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया। गरीबों के लिए बैंक के दरवाजे खोलने के लिए प्रधानमंत्री  ने प्रधानमंत्री जनधन योजना प्रारंभ की। इस योजना से जहां आपदा में गरीबों के खातों में सीधे राशि का अंतरण बिना लीकेज के संभव बना, वहीं दूसरी ओर गरीब लोग आर्थिक विकास के भागीदार बनने में सक्षम बने। इस योजना की भारी सफलता के कारण आज प्रधानमंत्री जनधन योजना में खाता धारकों की संख्या 53.14 करोड़ को पार कर गई है। तथा अगस्त 2024 तक इन खातों में कुल जमा शेष राशि 2,31,236 करोड़ रुपए से अधिक हो गई है। सफलता का स्तर सोचिए जिन गरीबों का 10 वर्ष पूर्व बैंक में खाता भी नहीं था आज उनके खातों में जमा राशि 2,31,236  करोड़  रुपए से भी अधिक है। जिसमें और एक सफलता छुपी हुई है । इन खातों में से 55.6% खाते महिलाओं के हैं। 66.6 प्रतिशत ग्रामीण एवं अर्ध शहरी क्षेत्र में हैं। 



युवाओं की रोजगार क्षमता को बढ़ाने के लक्ष्य को लेकर मोदी जी ने कौशल भारत पहल को प्रारंभ किया था। इसमें मिली भारी सफलता ने 2025 के प्रारंभ तक 1.5 करोड़ से ज्यादा युवाओं को प्रशिक्षित कर उन्हें बेहतर रोजगार के अवसरों के योग्य बनाया। कल्याण निधि का समय पर पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त वितरण मोदी सरकार ने ही सुनिश्चित किया है। अब तक 34 लाख करोड़ रुपए डीबीटी के माध्यम से भेजे जा चुके हैं। कारीगरों व शिल्पकारों का समर्थन करने के लिए मोदी जी ने पीएम विश्वकर्मा योजना प्रारंभ की। 13000 करोड़  रुपए के बजट वाली इस योजना ने ग्रामीण क्षेत्रों में 10 लाख नए रोजगार पैदा किया। मोदी सरकार के प्रयासों के फल स्वरूप आज 99 प्रतिशत से अधिक ग्रामीण बस्तियां ग्रामीण सड़कों से जुड़ गई हैं।  2014 से 2024 के बीच 3.74 लाख किलोमीटर ग्रामीण सड़कों का निर्माण किया गया।  सड़कों का विस्तार, निर्माण ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को उठाने में अपना अमूल्य योगदान प्रदान किया है। मोदी सरकार के कार्यकाल का अधिक विश्लेषण किया जाए तो मोदी सरकार का लक्ष्य स्पष्ट होता है। मोदी जी की नीतियों व लक्ष्यों में 2047 तक विकसित भारत बनना स्पष्ट दिखाई दे रहा है,  या दूसरे शब्दों में कहा जाए तो मोदी सरकार विकसित भारत के लक्ष्य को सामने रखकर तप कर रही है। इस विकास यात्रा में सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास सबका प्रयास शामिल है। इस विकास यात्रा का मार्ग एक-एक मतदाता के विकास से समग्र भारत के विकास की ओर जाता है। कोई भी मतदाता चाहे कितना भी पीछे क्यों ना हो उसे पकड़-पकड़ कर विकास यात्रा का सहभागी बनाया जा रहा है। डॉक्टर बी.आर. अंबेडकर  के संविधान की भावना भी यही है तो पंडित दीनदयाल उपाध्याय  का अंत्योदय का सिद्धांत भी यही है। मोदी वास्तविक तौर पर एक-एक मतदाता के वोट के ऋण को ब्याज समेत उतार रहे हैं।



 मोदी  लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाए जाने के जनता के निर्णय को सही सिद्ध कर रहे हैं । बजट में एक-एक मतदाता की उन्नति का समग्र प्रयास किया गया है। युवा हो, महिला हो, शहरी हो, ग्रामीण हो, सेवादाता हो, सेवाकर्ता हो,  किसान हो, व्यापारी हो ,मजदूर हो, शासकीय सेवक हो, अशासकीय सेवक हो,  स्वयं का रोजगार धारक हो, विषय विशेषज्ञ हो, प्रशिक्षित हो,  अप्रशिक्षित हो सभी की भागीदारी विकास यात्रा में सुनिश्चित की गई है। अखिलेश जैन



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