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Bhopal. कविता-आई होली,आई रे, Poem- Holi has come, it has come


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फाग गाओ , फाग गाओ ,

आई होली , आई रे ।

ढोल बजाओ , ढोल बजाओ ,

आई होली , आई रे ।



आज फिर आया जगत में 

रंग - गुलाल का मेला रे ,

होलिका चली गई जगत से 

हर दिशा रंगों का खेला रे ।

न जाने कितनी आस लिए ,

देखी मुस्कानों की बेला रे ।



फाग गाओ , फाग गाओ ,

आई होली , आई रे ।

ढोल बजाओ, ढोल बजाओ ,

आई होली , आई रे ।



झूम - झूम के , झूम - झूम के ,

भारत - भूमि यों डोली रे !

छम - छम नाचे राधा - कन्हाई ,

धरती भी थिर - थिर थिरकीं रे ।

महक उठी वसंत - फुलवारी ,

आंख - आंख आज बहकी रे ।


फाग गाओ, फाग गाओ,

आई होली, आई रे ।

ढोल बजाओ - ढोल बजाओ ,

आई होली आई रे ।



पुए मिठाई , दूध मलाई ,

आई रुचि की बहार रे ।

गली - गली आई बहार तो ,

गली - गली में फुहार रे ।

वसंत में मानो आ गई 

पावस की मल्हार रे।


फाग गाओ - फाग गाओ,

आई होली, आई रे 

ढोल बजाओ, ढोल बजाओ 

आई होली , आई रे ।

आर . सूर्य कुमारी



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